काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन में पूर्व क्षमता से बिजली उत्पादन

गुजरात के काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन (Kakrapar Atomic Power Station: KAPS) में 700 मेगावाट क्षमता वाला  भारत का दूसरा स्वनिर्मित परमाणु ऊर्जा रिएक्टर 21 अगस्त, 2024 को अपनी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया।

न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के अनुसार KAPS में यूनिट-4 को 700 मेगावाट की पूरी क्षमता तक बढ़ाने से पहले 90% क्षमता पर काम कर रही थी।

KAPS-4 यूनिट ने पिछले साल 17 दिसंबर को पहली क्रिटिकलिटी हासिल की और 31 मार्च को वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया। यह प्रेसराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टर (PHWR) है।

भारत इसी  डिजाइन के 700 मेगावाट की क्षमता वाले 14 और परमाणु ऊर्जा रिएक्टर बना रहा है, जिनके 2031-32 तक क्रमिक रूप से संचालन शुरू करने की उम्मीद है।

NPCIL वर्तमान में 8180 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 24 रिएक्टरों का बेड़ा संचालित करता है और 6800 मेगावाट की क्षमता वाली आठ इकाइयां निर्माणाधीन हैं।

इसके अलावा, 7000 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 10 और रिएक्टर प्री-प्रोजेक्ट चरण में हैं। इनके धीरे-धीरे पूरा होने की उम्मीद है, जिससे देश में परमाणु ऊर्जा की स्थापित क्षमता 2031-32 तक 22480 मेगावाट हो जाएगी।

भारत में निर्मित प्रथम परमाणु ऊर्जा रिएक्टर तारापुर में दो बोइलिंग वाटर रिएक्टर थे, जिनका निर्माण GE द्वारा भारत-अमेरिकी सहयोग के तहत टर्नकी परियोजनाओं के रूप में किया गया था।

डॉ होमी भाभा भारत के परमाणु कार्यक्रम के वास्तुकार थे। देश में परमाणु अयस्क हैं जिनसे कुल मिलाकर लगभग 78,000 टन यूरेनियम धातु और लगभग 518,000 टन थोरियम धातु निकाली जा सकती है।

यदि संपूर्ण यूरेनियम संसाधनों का उपयोग पहले प्राकृतिक यूरेनियम-ईंधन वाले प्रेसराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टर (PHWR) में किया जाता है, तो अनुमान है कि लगभग 420 गीगावाट प्रतिवर्ष बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। यह प्रथम चरण है।

दूसरे चरण में इन PHWRs से प्राप्त होने वाले डेप्लेटेड यूरेनियम और पृथक किये गए प्लूटोनियम का उपयोग यदि फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों (FBRs) में किया जाता है, तो इससे अतिरिक्त 54,000 गीगावाट प्रतिवर्ष बिजली पैदा की जा सकती है। इन FBR में, थोरियम असेंबली को उनके ब्लैंकेट और कम-शक्ति क्षेत्रों में लोड करके यूरेनियम-233 (U233) का उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता है।

अंततः तीसरे चरण में Th-U233 ईंधन वाले ब्रीडर रिएक्टर चरण में भारत को अतिरिक्त 358,000 गीगावाट प्रतिवर्ष बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होना चाहिए।

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