प्रलय मिसाइल गणतंत्र दिवस परेड में शामिल
भारत की पहली टैक्टिकल क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ (Pralay) को 26 जनवरी 2025 के गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया। यह कम दूरी की स्वदेशी बैलिस्टिक ‘सतह से सतह पर’ मार करने वाली मिसाइल (SRBM) है, जिसकी मारक क्षमता 150-500 किमी है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
सेना एक सामरिक पारंपरिक मिसाइल से लैस होना चाहती थी, जिसे युद्ध के मैदान में उपयोग किया जा सके। सात वर्षों के भीतर, 2015 में स्वीकृत परियोजना के तहत प्रलय 2022 में संचालन के लिए तैयार हो गई।
यह मिसाइल 350-700 किलोग्राम का पारंपरिक वारहेड ले जाने में सक्षम है, जिससे यह घातक क्षमताएँ प्रदान करती है। प्रलय वास्तविक युद्धक्षेत्र में शत्रु की स्थिति और प्रमुख ठिकानों को निशाना बना सकती है।
यह ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से सुसज्जित है, लेकिन इसकी सटीकता इसका मुख्य आकर्षण है। यह उच्च विस्फोटक प्रीफॉर्म्ड फ्रैगमेंटेशन वारहेड, पेनिट्रेशन-कम-ब्लास्ट (PCB) और रनवे डिनायल पेनिट्रेशन सबम्यूनिशन (RDPS) ले जा सकती है।
प्रलय मिसाइल परियोजना, जिसे 2015 में मंजूरी दी गई थी, ‘प्रहार’ मिसाइल कार्यक्रम का एक संस्करण है, जिसका पहली बार 2011 में परीक्षण किया गया था।
भारतीय मिसाइल चीन की डोंग फेंग 12 और रूस की इस्कैंडर मिसाइल के समान है, जिसका उपयोग वर्तमान में यूक्रेन के साथ युद्ध में किया जा रहा है। अमेरिकी सेना भी ‘प्रेसिजन स्ट्राइक मिसाइल’ (PrSM) नामक एक समान कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ा रही है।
प्रलय एक क्वासी-बैलिस्टिक हथियार है, जिसका मतलब है कि यह मुख्य रूप से बैलिस्टिक है और कम ट्रैजेक्टरी के साथ उड़ता है, लेकिन उड़ान के दौरान इसमें गतिशीलता भी होती है।