भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक IIT मद्रास के डिस्कवरी कैंपस में पूरा हुआ
भारत का पहला 410 मीटर लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास के डिस्कवरी कैंपस, थैयूर में तैयार किया गया है। यह ट्रैक फरवरी 2025 में होने वाली वैश्विक कॉलेज स्तरीय हाइपरलूप प्रतियोगिता की मेजबानी के लिए तैयार है। यह हाइपरलूप परियोजना भारतीय रेलवे, आईआईटी मद्रास के अविष्कार हाइपरलूप टीम और TuTr (एक इनक्यूबेटेड स्टार्टअप) की एक संयुक्त पहल है। यह पहली बार है जब भारत इस तरह की प्रतियोगिता की मेजबानी करेगा, जो पहले अमेरिका और यूरोप में आयोजित होती थी।
हाइपरलूप: परिवहन का भविष्य
हाइपरलूप में इलेक्ट्रोमैग्नेटिकली लेविटेटिंग (electromagnetically levitating) पॉड को निर्वात ट्यूब (vacuum tube) के अंदर चलाया जाता है, जिससे घर्षण और वायु प्रतिरोध समाप्त हो जाता है। इसके माध्यम से पॉड 400 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति प्राप्त कर सकता है।
हाइपरलूप को अक्सर “पांचवां परिवहन माध्यम” (fifth mode of transport) कहा जाता है। यह लंबी दूरी की यात्रा के लिए एक हाई स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम है। वैक्यूम ट्यूब के अंदर पॉड घर्षण और वायु प्रतिरोध के बिना चलता है, जिससे यह मैक 1.0 (ध्वनि की गति) तक की गति प्राप्त कर सकता है।
हाइपरलूप: विशेषताएं और संभावनाएं
- यह परिवहन प्रणाली मौसम के प्रभाव से मुक्त होगी।
- यह टकराव रहित यात्रा सुनिश्चित करेगी।
- हवाई जहाज की गति से दोगुनी तेजी से चलेगी।
- ऊर्जा की कम खपत के साथ 24 घंटे संचालन के लिए उपयुक्त होगी।
- यह सस्टेनेबल परिवहन माध्यम के रूप में उभरेगी।
हाइपरलूप ट्रेनें 1,100 किमी प्रति घंटे की गति के लिए डिज़ाइन की गई हैं, और लगभग 360 किमी प्रति घंटे की परिचालन गति पर चलेंगी। यह ट्रेनें वैक्यूम सील वातावरण में चलेंगी, जिससे तेजी से यात्रा और ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित होगी।
मुंबई-पुणे हाइपरलूप परियोजना: भविष्य की योजना
भारत में पहला पूर्ण पैमाने का हाइपरलूप प्रोजेक्ट मुंबई-पुणे कॉरिडोर पर प्रस्तावित है। इस सिस्टम से दोनों शहरों के बीच केवल 25 मिनट में यात्रा की जा सकती है। हालांकि, यह परियोजना अभी विकास के चरण में है।