क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025

भारत 1993 से 2022 के बीच एक्सट्रीम क्लाइमेट इवेंट्स से सबसे अधिक प्रभावित 10 देशों में शामिल था, जिसने इस तरह की घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों का 10% और कुल क्षति (डॉलर के संदर्भ में) का 4.3% दर्ज किया। जर्मनवॉच द्वारा प्रकाशित क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 में भारत को छठा स्थान मिला है। डोमिनिका, चीन, होंडुरास, म्यांमार और इटली प्रथम पांच स्थान पर हैं। शीर्ष 10 में शामिल अन्य चार देश ग्रीस, स्पेन, वानुआतु और फिलीपींस हैं।

भारत ने 1993, 1998 और 2013 में विनाशकारी बाढ़ और 2002, 2003 और 2015 में भीषण हीट वेव का सामना किया। कुल मिलाकर, देश को 400 से अधिक एक्सट्रीम क्लाइमेट  इवेंट्स का सामना करना पड़ा, जिससे 180 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और कम से कम 80,000 लोगों की मौत हुई। जर्मनवॉच के अनुसार, वैश्विक स्तर पर, एक्सट्रीम क्लाइमेट  इवेंट्स ने लगभग 800,000 मौतें और 4.2 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान पहुँचाया।

पिछले तीन दशकों में भारत में हुई कुछ प्रमुख एक्सट्रीम क्लाइमेट  इवेंट्स में शामिल हैं:

  • 1998 का गुजरात चक्रवात और 1999 का ओडिशा चक्रवात
  • 2014 और 2020 में आए हुदहुद और अम्फान चक्रवात
  • 2013 की उत्तराखंड बाढ़
  • 1998, 2002, 2003 और 2015 में लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज की गई भीषण हीट वेव। 

इस रिपोर्ट के निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय आपदा डेटाबेस (EM-DAT) से प्राप्त एक्सट्रीम क्लाइमे  इवेंट्स  के आंकड़ों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों पर आधारित हैं। यह पिछली घटनाओं पर आधारित एक सूचकांक है, जो किसी देश को उसके आर्थिक और मानवीय प्रभावों (मृत्यु, प्रभावित जनसंख्या, घायल और बेघर लोगों की संख्या) के आधार पर रैंक करता है, जिसमें सबसे अधिक प्रभावित देश को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है।रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया है कि ऐसी चरम घटनाओं से निपटने के लिए उपलब्ध जलवायु वित्तीय सहायता अपर्याप्त हैबाकू में आयोजित COP29 सम्मेलन भी जलवायु वित्त पर एक नई सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (New Collective Quantified Goal: NCQG) को लेकर कोई महत्वाकांक्षी निर्णय लेने में विफल रहा।

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