भारत में स्थापित होगा दक्षिण एशिया का पहला “सेंटर फॉर स्पीशीज़ सर्वाइवल”

IUCN स्पीशीज सर्वाइवल कमिशन ने दक्षिण एशिया में पहला सेंटर फॉर स्पीशीज़ सर्वाइवल (first-ever Center for Species Survival) स्थापित करने के लिए भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (WTI) के साथ साझेदारी की है।

इस संबंध में, भारत में पहला क्षेत्रीय प्रजाति अस्तित्व केंद्र (सीएसएस) स्थापित करने के लिए आईयूसीएन एसएससी और WTI ट्रस्ट ऑफ इंडिया के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

यह दुनिया में स्पीशीज सर्वाइवल का 10वां और दक्षिण एशिया में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा

इस सहयोगात्मक प्रयास का उद्देश्य वन्यजीव विशेषज्ञों और विशेषज्ञ समूहों द्वारा संरक्षण प्रयासों को बढ़ाना और भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा करना है।

इस केंद्र को संरक्षण पेशेवरों को नेटवर्क बनाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने की उम्मीद है।

यह संकटापन्न प्रजातियों की IUCN लाल सूची का उपयोग करके प्रजातियों की स्थिति के आकलन में भी योगदान देगा और देश भर में प्रजातियों की रिकवरी प्रयासों के प्रभाव को बढ़ाएगा।

यह केंद्र प्रजातियों को बचाने के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा। ध्यातव्य है कि भारत कई प्रतिष्ठित और लुप्तप्राय प्रजातियों का हैबिटेट होने के कारण, ऐसे केंद्र की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

जलवायु और भौतिक स्थितियों की जबरदस्त विविधता के साथ, भारत में जीवों की विशाल विविधता है, जिनकी संख्या 92,037 प्रजातियाँ हैं, जिनमें से अकेले कीटों की 61,375 प्रजातियाँ शामिल हैं।

यह अनुमान लगाया गया है कि अकेले भारत में लगभग दो गुना प्रजातियाँ अभी भी खोजी जानी बाकी हैं। सेंटर फॉर स्पीशीज़ सर्वाइवल को प्रजातियों के संरक्षण और रिकवरी में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह सही दिशा में प्रतीत होता है।

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