भारत ने IPEF के क्लीन इकॉनमी और फेयर इकॉनमी समझौतों पर हस्ताक्षर किए
भारत ने 21 सितंबर, 2024 को डेलावेयर (USA) में प्रोस्पेरिटी के लिए इंडो-पैसिफिक इकनोमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के तहत क्लीन इकॉनमी, फेयर इकॉनमी और IPEF ओवररिचिंग अर्रेंजमेंट पर केंद्रित अपनी तरह के प्रथम समझौतों पर हस्ताक्षर किए और उनका आदान-प्रदान किया।
IPEF क्लीन इकॉनमी समझौता (पिलर-III): इस समझौते का उद्देश्य तकनीकी सहयोग, कार्यबल विकास, क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना है; और स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास आदि है।
IPEF फेयर इकॉनमी समझौता (पिलर-IV): इस समझौते का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक में अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित व्यापार और निवेश वातावरण बनाना है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, IPEF भागीदार देश रिश्वतखोरी सहित भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने में अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिए सहयोग करेंगे, और कर पारदर्शिता, सूचना के आदान-प्रदान, घरेलू संसाधन जुटाने और कर प्रशासन में सुधार के लिए पहल का समर्थन करेंगे।
IPEF ओवररिचिंग अर्रेंजमेंट एक प्रशासनिक समझौता है जो एक ओवरसाइट मिनिस्टीरियल मैकेनिज्म स्थापित करता है।
इंडो-पैसिफिक इकनोमिक फ्रेमवर्क (IPEF)
इंडो-पैसिफिक इकनोमिक फ्रेमवर्क (IPEF) की शुरुआत 23 मई 2022 को टोक्यो (जापान) में की गई थी। इसमें शामिल 14 देश हैं – ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका।
IPEF का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक संपर्क और सहयोग को मजबूत करना है।
IPEF के चार पिलर्स हैं ; व्यापार (पिलर I); सप्लाई चेन रेजिलिएंस (पिलर II); क्लीन इकॉनमी पिलर III); और फेयर इकॉनमी (पिलर IV) ।
भारत ने फरवरी 2024 में आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन यानी सप्लाई चेन रेजिलिएंस (पिलर II) पर समझौते की पुष्टि की थी और पिलर-I में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल है।