भारत में चार और रामसर वेटलैंड साइट्स
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2 फरवरी, 2025 को गोंडा (उत्तर प्रदेश) के पार्वती अरगा रामसर साइट पर विश्व वेटलैंड्स दिवस 2025 (World Wetlands Day 2025) समारोह का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता और सतत आजीविका में आर्द्रभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया।
यह इस वर्ष की थीम ‘हमारे साझा भविष्य के लिए आर्द्रभूमि की रक्षा’ (Protecting Wetlands for our Common Future) के अनुरूप है। इस वर्ष की थीम सहयोग और दूरदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करती है, क्योंकि यह इन समृद्ध जैव विविधता, उत्पादक पारिस्थितिकी प्रणालियों को महत्व देने और उनकी रक्षा करने और उनकी ओर से प्रेरणादायक कार्रवाई करने का आह्वान करती है कि साथ मिलकर, हम अपने सामान्य भविष्य और भलाई की रक्षा कर सकते हैं।
विश्व वेटलैंड्स दिवस
1971 में अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स के बारे में रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर साल 2 फरवरी को विश्व वेटलैंड्स दिवस मनाया जाता है।
भारत 1982 से इस कन्वेंशन का एक पक्षकार है। भारत ने हाल ही में रामसर साइटों (अंतरराष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स) की संख्या में वृद्धि की है।
चार और रामसर वेटलैंड साइट्स
चार और आर्द्रभूमियों को रामसर स्थलों के रूप में नामित करके भारत में ऐसे स्थलों की संख्या 89 हो गई है। चार नए स्थल झारखंड में उधवा झील (Udhwa Lake), तमिलनाडु में तीरतंगल और सक्काराकोट्टई (Theerthangal and Sakkarakottai) और सिक्किम में खेचियोपालरी (Khecheopalri) हैं।
खेचियोपालरी सिक्किम की और उधवा झील झारखंड की पहली रामसर साइटें हैं। इन आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची में शामिल करने के साथ, रामसर स्थलों के अंतर्गत आने वाला कुल क्षेत्रफल अब 1.358 मिलियन हेक्टेयर हो गया है।
तमिलनाडु में सबसे अधिक रामसर साइटें (20 साइटें) हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश (10 साइटें) में हैं।