भारत-रूस ने 2030 तक $100 बिलियन वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा

भारत और रूस ने 2030 तक वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है और दोनों देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके  मजबूत द्विपक्षीय पेमेंट सेटलमेंट सिस्टम विकसित करने का संकल्प लिया है।

वर्तमान में, भारत और रूस का द्विपक्षीय व्यापार लगभग $67 बिलियन है।

2030 तक रूस के साथ $100 बिलियन के द्विपक्षीय व्यापार तक पहुँचने के लिए, भारत अपने निर्यातकों द्वारा सामना किए जाने वाले मार्केट तक पहुँच की समस्या दो दूर करके, निर्यात के लिए अधिक वस्तुओं को शामिल करके और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार लेनदेन  को बढ़ावा देकर दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात में अधिक अंतर को दूर करना चाहता है।

बता दें कि भारत का  रूस के साथ व्यापार घाटा का गैप काफी अधिक है। 2023-24 में, दोनों देशों के बीच व्यापार 65 बिलियन डॉलर को छू गया, जिसमें से भारत का निर्यात सिर्फ 4 बिलियन डॉलर और आयात 61.4 बिलियन डॉलर था।

व्यापार घाटे के बढ़ने का एक कारण रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात में उछाल है। नए उत्पादों के अलावा, भारत गैर-व्यापार बाधाओं (Non Trade Barriers: NBT) से भी निपटना चाहता है जिसका सामना समुद्री उत्पादों के भारतीय निर्यातक रूस में करते हैं।

भारत रूस में उन उत्पादों के बाज़ारों को भी देख रहा है जहाँ प्रतिबंधों और रुपया-रूबल व्यापार के कारण आयात में व्यवधान आया है।

सुरक्षात्मक उपायों और प्रशासनिक बाधाओं सहित व्यापार में गैर-टैरिफ/टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने के लिए, दोनों देशों ने भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ (Eurasian Economic Union) के बीच वस्तुओं पर मुक्त व्यापार समझौते के लिए पूर्ण वार्ता शुरू की है।

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