एच. पाइलोरी (H. pylori)
एक हालिया शोध के मुताबिक हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori) बैक्टीरिया के एक लघु अंश की दो-चरणीय PCR-आधारित जांच एच. पाइलोरी संक्रमण का पता लगाने में मदद कर सकती है और छह-सात घंटों में क्लैरिथ्रोमाइसिन-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की पहचान भी कर सकती है।
यह टूल राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (ICMR-NICED) कोलकाता के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है।
चूंकि H. pylori बैक्टीरिया धीरे-धीरे बढ़ता है, इसलिए बैक्टीरिया को कल्चर करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है और प्रभावी दवा का परीक्षण करने में कुछ और सप्ताह लगते हैं, जिसे नई डायग्नोस्टिक टेस्ट दरकिनार कर देती है।
मॉलिक्यूल बेस्ड टेस्ट/विश्लेषण में H. pylori का 100% पता लगाने में सफलता प्राप्त हुई है।
भारत में क्लैरिथ्रोमाइसिन-प्रतिरोधी H. pylori बैक्टीरिया का संक्रमण बढ़ रहा है, जिससे संक्रमण के इलाज में सफलता दर कम हो रही है।
भारत में, H. pylori संक्रमण 60-70% आबादी को प्रभावित करता है।
H. pylori संक्रमण अक्सर बचपन के दौरान होता है और अगर एंटीबायोटिक दवाओं से प्रभावी ढंग से इलाज न किया जाए तो यह जीवन भर पेट में बना रहता है।
H. pylori संक्रमण गैस्ट्रिक कैंसर के लिए ज्ञात जोखिम कारकों में से एक है।