IMF के अनुसार भारत में एक्सट्रीम पॉवर्टी महज 0.8% है

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF) द्वारा जारी एक अध्ययन पत्र के अनुसार, भारत ने प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के माध्यम से चरम गरीबी (extreme poverty ) को लगभग समाप्त कर दिया है और 40 वर्षों में उपभोग असमानता (consumption inequality) को अपने निम्नतम स्तर पर लाया है।

  • IMF वर्किंग पेपर अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला, अरविंद विरमानी और करण भसीन द्वारा लिखा गया है।
  • इस पेपर के अनुसार एक्सट्रीम पावर्टी में रहने वाले लोगों का अनुपात 0.8% था, जो महामारी के दौरान भी “इन-काइंड” सब्सिडी, विशेष रूप से खाद्य राशन की वजह से स्थिर रहा।
  • एक्सट्रीम पावर्टी विश्व बैंक द्वारा 1.9 अमेरिकी डॉलर या उससे कम क्रय शक्ति समानता (PPP) वाले लोगों की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है
  • IMF पेपर, 5 अप्रैल 2022 को प्रकाशित हुआ।
  • अध्ययन में पाया गया कि महामारी वर्ष 2020 में एक्सट्रीम पावर्टी नहीं बढ़ने की वजह खाद्य राशन वितरण था।
  • PPP एक मीट्रिक है जो तुलना को आसान बनाने के लिए विभिन्न मुद्राओं की क्रय शक्ति को बराबर करता है।
  • पेपर में कहा गया है कि रियल (मुद्रास्फीति-समायोजित-inflation-adjusted) असमानता , जिसे गिनी गुणांक (Gini coefficient) द्वारा मापा जाता है, जो कि 0.294 है, अब 1993-94 में दर्ज किये गए अपने निम्नतम स्तर 0.284 के बहुत करीब है।
  • गिनी गुणांक 0 से 1 तक होता है, जिसमें 0 पूर्ण समानता का प्रतिनिधित्व करता है और 1 पूर्ण असमानता का प्रतिनिधित्व करता है।
  • 84.6% के अखिल भारतीय औसत के साथ 89.1% ग्रामीण पात्र परिवारों और 77.3% शहरी परिवारों ने इस महामारी के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य हस्तांतरण प्राप्त किया।

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