भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार वर्ष 2023 में मानसूनी वर्षा सामान्य रहेगी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार पूरे देश में जून से सितंबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून की दीर्घकालिक औसत (Long Period Average: LPA) का 96 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना है जो सामान्य मानसूनी वर्षा है।

यह पूर्वानुमान डायनामिक और स्टैटिस्टिकल, दोनों मॉडलों पर आधारित है जिनसे पता चलता है कि मात्रात्मक रूप से, मानसून मौसमी वर्षा ± 5 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ LPA का 96 प्रतिशत होने की संभावना है।

बता दें कि 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मौसमी वर्षा का LPA 87 सेमी है

वर्ष 2003 से, IMD दक्षिण-पश्चिम मानसून की मौसमी (जून से सितंबर) वर्षा के लिए दो चरणों में पूरे देश में औसत वर्षा के लिए परिचालन अवधि का पूर्वानुमान (Long-range forecast: LRF) जारी कर रहा है। पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जारी किया जाता है और दूसरा चरण या अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत तक जारी किया जाता है।

2021 से IMD ने वर्तमान के दो चरण की पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिए मासिक और मौसमी ऑपरेशनल पूर्वानुमान जारी करने के लिए एक नई रणनीति लागू की है। नई रणनीति डायनामिक और स्टैटिस्टिकल, पूर्वानुमान प्रणाली दोनों का उपयोग करती है।

मानसूनी वर्षा को प्रभावित करने वाले कारक

वर्तमान में ला नीना (प्रशांत में सतही शीत जल) की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में तटस्थ स्थितियों में बदल गई है।

अल नीनो (प्रशांत में सतही गर्म जल) की स्थिति के मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है।

फरवरी और मार्च 2023 के दौरान उत्तरी गोलार्ध के हिम आवरण (स्नो कवर) क्षेत्रों को सामान्य से कम देखा गया है I उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत के हिम आवरण (स्नो कवर) के प्रसार की सीमा की प्रवृत्ति इसके बाद होने वाली ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा के साथ सामान्य विपरीत संबंध की है ।

वर्तमान में, हिंद महासागर के ऊपर तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole: IOD) स्थितियां विद्यमान हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि सकारात्मक IOD स्थितियों के दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है। IOD दो क्षेत्रों के बीच समुद्री जल के तापमान में अंतर को कहा जाता है।

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