भारत मौसम विज्ञान विभाग ने “उत्तर-पूर्वी मानसून” के आगमन की घोषणा की
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने घोषणा की है कि उत्तर-पूर्वी मानसून शुरू हो गया है। IMD ने अपनी मौसम रिपोर्ट में कहा, इसके प्रभाव के कारण तमिलनाडु और केरल में बारिश होने की उम्मीद है।
IMD ने कहा, दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर उत्तर-पूर्वी व्यापारिक हवाओं के मजबूत होने के बाद पूर्वोत्तर मानसून शुरू हुआ।
उत्तर-पूर्वी मानसून क्या है?
गौरतलब है कि भारत में दो मानसून आते हैं, जून से सितंबर के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून अथवा ग्रीष्मकालीन मानसून और अक्टूबर से दिसंबर के दौरान उत्तर-पूर्वी मानसून या शीतकालीन मानसून (Northeast Monsoon or winter monsoon)।
उत्तर-पूर्वी मानसून सतह और निचली क्षोभमंडलीय हवाओं के मौसमी उलटफेर से जुड़ा है, जो अक्टूबर तक शुरू होता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान, सतह का दबाव प्रवणता हिंद महासागर से निचले क्षोभमंडल में दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाओं के साथ भूमि उत्तर की ओर बढ़ती है।
उत्तर-पूर्वी मानसून के मौसम के दौरान, दबाव प्रवणता उलट जाती है (भूमि से हिंद महासागर की ओर) जिसके परिणामस्वरूप उत्तर-पूर्वी व्यापारिक हवाएँ चलती हैं, जो इस वर्षा प्रणाली की मूल स्थिति है।
इसका नाम मानसूनी हवाओं की दिशा से लिया गया है, जो उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर चलती हैं।
उत्तर-पूर्वी मानसून पवनें बंगाल की खाड़ी से गुजरते हुये आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं तथा अक्टूबर और दिसंबर के बीच तीन महीने की अवधि के दौरान कारोमण्डल तट पर वर्षा करती हैं। वास्तव में ये पवनें स्थायी या भूमण्डलीय पवनें हैं, जिन्हें उत्तर पूर्वी व्यापारिक पवनें (northeasterly trade winds) कहते हैं। भारत में मूलतः ये स्थलीय पवनें हैं।
इसे शीतकालीन मानसून, लौटते हुए मानसून या रिवर्स मानसून (दक्षिण-पश्चिम मानसून की तुलना में हवा की दिशा के उलट होने के कारण) के रूप में भी जाना जाता है ।
पूर्वोत्तर मानसून अपेक्षाकृत शुष्क, स्थिर है और दक्षिण-पश्चिम मानसून की तुलना में इसकी ऊर्ध्वाधर सीमा कम (less vertical extent) है।
भारत में, पूर्वोत्तर मानसून का मौसम (अक्टूबर-दिसंबर) पूरे देश में वार्षिक वर्षा का लगभग 11% योगदान देता है। इस दौरान देश के उत्तरी भागों की तुलना में दक्षिण प्रायद्वीप में बहुत अधिक वर्षा होती है।