ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) और इसके लाभ

भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (ISSR) कोझिकोड ने सफलतापूर्वक एक नया दानेदार लाइम बेस्ड ट्राइकोडर्मा फॉर्मूलेशन, ‘ट्राइकोलिम’ (Tricholime) विकसित किया है।

इसे ट्राइकोडर्मा और लाइम को एक उत्पाद में एकीकृत करके विकसित किया गया, जिससे किसानों के लिए इसका उपयोग आसान हो गया।

यह लाइम-बेस्ड फॉर्मूलेशन एक ही उपयोग से पौधों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ मिट्टी की अम्लीयता को बेअसर करता है और फसलों को मृदा-जनित रोगजनकों से बचाता है।

ट्राइकोडर्मा ( Trichoderma)  कवक जैव नियंत्रण एजेंट (fungal biocontrol agent) है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के मृदा-जनित रोगजनकों (soil-borne pathogens) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

ट्राइकोडर्मा पौधों के कई मृदा-जनित रोगजनकों को दबाने में प्रभावी साबित हुआ है और फसल उत्पादन में एक सफल जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक (bio-pesticide and bio-fertiliser) के रूप में कार्य करता है।

यह फॉर्मूलेशन मृदा में उपयोगी सूक्ष्म जीवों (microbes) के विकास को भी बढ़ावा दे सकता है और मृदा की संरचना  में सुधार करके, सेकेंडरी पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाकर और मृदा  की सूक्ष्मजीव गतिविधि (boosting soil microbial activity) को बढ़ाकर फसल को भी लाभ पहुंचा सकता है।

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