IIL ने स्वदेशी रूप से विकसित हेपेटाइटिस A का पहला टीका “हेविश्योर” लॉन्च किया

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ने भारत का ‘पहला’ स्वदेशी रूप से विकसित हेपेटाइटिस A वैक्सीन, हैविश्योर (Havisure) लॉन्च किया।

हेविश्योर को हेपेटाइटिस A वायरस से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से लीवर को प्रभावित करता है।

यह टीका बीमारी को रोकने में प्रभावी है और नियमित टीकाकरण में बच्चों के लिए इसकी सिफारिश की जाती है।

यह दो खुराक वाला टीका है जिसमें पहली खुराक 12 महीने से ऊपर की उम्र में दी जाती है और दूसरी खुराक पहली खुराक के कम से कम 6 महीने बाद दी जाती है।

वैक्सीन उन व्यक्तियों के लिए भी की जा सकती है जो रिस्क में हैं या उच्च हेपेटाइटिस A प्रसार वाले क्षेत्रों की यात्रा करते हैं। इसके अलावा क्रोनिक लिवर रोगों से पीड़ित लोगों को भी हेपेटाइटिस A टीकाकरण की आवश्यकता होती है।

हेपेटाइटिस एक आम टर्म है जिससे लिवर में सूजन (inflammation of the liver) हो जाता है। पांच प्रकार के वायरस हैं जो वायरल हेपेटाइटिस के विभिन्न स्ट्रेन का कारण बनते हैं: हेपेटाइटिस A, B, C, D और E।

हेपेटाइटिस A ज्यादातर खाद्य जनित बीमारी है और संक्रमित पानी और बिना साफ़ किये भोजन से फैल सकता है।

हेपेटाइटिस B संक्रमित रक्त, सुई, सीरिंज या शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से और मां से बच्चे में फैल सकता है। यह एक क्रोनिक बीमारी  है और कुछ मामलों में कई वर्षों तक वायरस रहने के बाद क्रोनिक लिवर क्षति, लिवर कैंसर और लिवर के सिरोसिस का कारण बन सकता है।

हेपेटाइटिस C केवल संक्रमित रक्त के माध्यम से या बच्चे के जन्म के दौरान मां से नवजात शिशु में फैलता है।

हेपेटाइटिस D केवल उन लोगों में पाया जाता है जो हेपेटाइटिस B से भी संक्रमित होते हैं।

हेपेटाइटिस E वायरस संक्रमित व्यक्तियों के मल में फैलता है और आंत के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है। यह मुख्य रूप से  संक्रमित पेयजल के माध्यम से फैलता है।

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