अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) का “स्टॉप क्लॉक” नियम
हाल में, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ट्रायल बेसिस पर “स्टॉप क्लॉक” नियम लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत किन्ही भी दो ओवर्स के बीच गैप देखा जाएगा।
यदि पारी में तीन बार किन्हीं भी दो ओवर्स के बीच 1 मिनट से ज्यादा का गैप होता है तो फील्डिंग टीम को 5 रन की पैनाल्टी का झेलनी पड़ेगी।
यह नियम दिसंबर 2023 से ट्रायल में आएगा। अभी यह नियम पुरुषों के एकदिवसीय और T20 मैच तक ही सीमित रहेगा, और इस दिसंबर और अप्रैल 2024 के बीच छह महीने के लिए “ट्रायल बेसिस” पर परीक्षण किया जाएगा।
इसका उपयोग पहली बार वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच आगामी तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला में किया जाएगा, जो 3 दिसंबर से शुरू होगा।
गौरतलब है कि 2022 में, धीमी ओवर गति से निपटने के लिए, ICC ने पुरुष और महिला क्रिकेट, दोनों में एकदिवसीय और T20 में इन-मैच जुर्माना लगाया था। वर्तमान में, यदि फील्डिंग वाली टीम निर्धारित समय तक अंतिम ओवर शुरू करने में विफल रहती है, तो उन्हें 30-यार्ड सर्कल के बाहर से एक फील्डर को भीतर रखना पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय महिलाओं क्रिकेट में ‘मेल प्यूबर्टी’ हासिल कर चुके खिलाड़ियों पर रोक
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने उन क्रिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय महिलाओं के खेल में प्रतिस्पर्धा करने से रोक दिया जो ‘मेल प्यूबर्टी’ हासिल कर चुके हैं. मेल प्यूबर्टी का मतलब है पुरुषों में किशोरावस्था में होने वाला शारीरिक/लैंगिक बदलाव।
ICC के नए नियम के मुताबिक मेल प्यूबर्टी हासिल करने वाले प्लेयर्स की अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट में अब भागीदारी नहीं होगी।
ICC के अनुसार वह अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट की इंटीग्रिटी, खिलाड़ियों की सुरक्षा, निष्पक्षता और समावेशन के लिए यह निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि कोई भी पुरुष से महिला बनने वाले प्रतिभागी जो किसी भी प्रकार की ‘मेल प्यूबर्टी’ से गुजर चुके हैं वे सर्जरी या लिंग परिवर्तन उपचार के बावजूद अंतरराष्ट्रीय महिला खेल में भाग लेने के पात्र नहीं होंगे।
ICC के नए नियम डॉ. पीटर हरकोर्ट की अध्यक्षता वाली ICC चिकित्सा सलाहकार समिति के नेतृत्व में की गई समीक्षा पर आधारित है। यह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट के लिए लैंगिक पात्रता से संबंधित है। घरेलू स्तर पर लैंगिक पात्रता के मामले में प्रत्येक सदस्य बोर्ड का अपना कानून होगा। इस नियम की दो साल के अंदर समीक्षा की जाएगी।