कोरेगांव भीमा की लड़ाई की 205वीं वर्षगांठ
महाराष्ट्र में पुणे जिले के पेरने गांव में ‘जयस्तंभ’ (Jaystambh) में कोरेगांव भीमा की लड़ाई (Battle of Koregaon Bhima) की 205वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम 1 जनवरी 2023 को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
हजारों लोग, मुख्य रूप से अम्बेडकरवादी महार समुदाय के, जयस्तंभ की यात्रा की और उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जिनके बारे में उनका मानना है कि उन्होंने पेशवाओं की कथित जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए करीब पांच हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। बता दें कि 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव भीमा क्षेत्र में कार्यक्रम में हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
कोरेगांव भीमा और जयस्तंभ
‘जयस्तंभ’ एक ‘सैन्य स्मारक’ है जिसे ब्रिटिश सरकार ने 1821 में अपने उन सैनिकों की स्मृति में बनवाया था, जो 1 जनवरी, 1818 को कोरेगांव भीमा में मराठा शासन के दौरान पेशवाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
अंग्रेजों ने 13 दिसंबर, 1824 को युद्ध में घायल हुए अपने सैनिक कंदोजीबिन गजोजी जमादार (मालवडकर) को ‘जयस्तंभ’ का प्रभारी नियुक्त किया था।
दलित विचारधारा के अनुसार, कोरेगांव भीमा की लड़ाई में महार समुदाय के 500 सैनिकों वाली ब्रिटिश सेना ने पेशवाओं की 25,000-मजबूत सेना को हरा दिया था।
हालाँकि, मराठा समुदाय के जमादार के वंशजों का कहना है कि कोरेगांव भीमा की लड़ाई लड़ने वाली ब्रिटिश और पेशवा, दोनों सेनाओं में अलग-अलग जातियों के सैनिक शामिल थे। इसलिए उनका कहना है कि समकालीन ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, ‘जयस्तंभ’ को किसी विशेष जाति या धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है।