वन नेशन वन इलेक्शन पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली “वन नेशन वन इलेक्शन” पर उच्च स्तरीय समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर होने चाहिए और इसके बाद, स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं और पंचायतों) के चुनावों को भी “सिंक्रनाइज़” किया जाना चाहिए ताकि वे एक साथ राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के 100 दिनों के भीतर आयोजित किए जा सकें।

समिति ने भारत के संविधान में 15 संशोधनों का सुझाव दिया है। ये दो संविधान संशोधन विधेयकों के माध्यम से किए जाएंगे।

पहला बिल

पहला विधेयक एक साथ चुनाव प्रणाली में परिवर्तन और लोकसभा या राज्य विधानसभा के लिए उनके निर्धारित पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति से पहले नए चुनाव की प्रक्रिया से जुड़े प्रावधान के लिए होगा।

इसके लिए संविधान में एक नया अनुच्छेद- 82ए- सम्मिलित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस विधेयक को राज्य सरकारों से परामर्श या राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता के बिना संसद द्वारा पारित किया जा सकता है।

अनुच्छेद 82ए उस प्रक्रिया को स्थापित करेगा जिसके द्वारा देश लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव की प्रणाली की ओर बढ़ेगा।

अनुच्छेद 82ए(2) के प्रस्तावित प्रावधान के  मुताबिक “नियत तारीख के बाद होने वाले किसी भी आम चुनाव में गठित सभी विधान सभाएं लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर समाप्त हो जाएंगी”।

प्रस्तावित विधेयक अनुच्छेद 327 में संशोधन की भी सिफारिश करता है, जो संसद को लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों से संबंधित कानून बनाने की शक्ति देता है, जिसमें मतदाता सूची तैयार करना और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन भी शामिल है।

यदि लोकसभा या राज्य विधानसभा पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले भंग हो जाती है, तो अनुच्छेद 83(3) और 172(3) में सुझाए गए संशोधनों के अनुसार, शेष अवधि को “असमाप्त कार्यकाल” (unexpired term) के रूप में संदर्भित किया जाएगा।

पिछली लोकसभा या राज्य विधानसभा की जगह लेने वाली लोकसभा या राज्य विधानसभा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक साथ चुनाव होने पर फिर से भंग होने से पहले केवल शेष “असमाप्त कार्यकाल” के लिए ही काम करेगी।

दूसरा बिल

दूसरा विधेयक नगरपालिका और पंचायत चुनावों के साथ-साथ भारत के चुनाव आयोग द्वारा सिंगल मतदाता सूची के निर्माण से संबंधित होगा, जिसमें प्रत्येक मतदाता और उस सीट का विवरण होगा जिसके लिए वे मतदान करने के पात्र हैं।

यह विधेयक उन विषयों से संबंधित है जिन पर राज्यों के पास कानून बनाने की प्राथमिक शक्ति है – और इसलिए, इसे लागू करने से पहले भारत के आधे से अधिक राज्यों के अनुमोदन या अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी।

अनुच्छेद 368(2) के तहत, राज्य सूची के विषयों से संबंधित किसी भी संवैधानिक संशोधन को पारित होने से पहले देश के कम से कम आधे राज्य विधानमंडलों द्वारा अनुमोदित किया जाना होगा।

दूसरा विधेयक नगरपालिका और पंचायत चुनावों से संबंधित है, जो “स्थानीय सरकार” शीर्षक वाली राज्य सूची की प्रविष्टि 5 के अंतर्गत आते हैं, उन्हें राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी।

समिति ने संविधान में एक नया अनुच्छेद 324A शामिल करने का सुझाव दिया है. यह नया अनुच्छेद संसद को यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने का अधिकार देगा कि नगर पालिका और पंचायत चुनाव आम चुनाव (लोकसभा और राज्य विधानसभाओं) के साथ ही आयोजित किए जाएं।

समिति द्वारा प्रस्तावित नया अनुच्छेद 325(2) “लोक सभा, राज्य के विधानमंडल या नगर पालिका या पंचायत में चुनाव के लिए प्रत्येक क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एकल मतदाता सूची” बनाएगा।

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