स्वास्थ्य मंत्रालय ने शेड्यूल M के तहत दवा उत्पादकों के लिए संशोधित नियमों को अधिसूचित किया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6 जनवरी को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 की अनुसूची M (Schedule M) के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया।
प्रमुख तथ्य
शेड्यूल M फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) को निर्धारित करती है।
संशोधित शेड्यूल M को GMP का पालन सुनिश्चित करने और फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्माण से जुड़े काम्प्लेक्स, प्लांट और इक्विपमेंट्स संबंधित स्टैंडर्ड्स का पालन सुनिश्चित करने के लिए नियमों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
GMP अनिवार्य मानक है जो सामग्री, तरीकों, मशीनों, प्रक्रियाओं, कर्मियों और फैसिलिटी आदि पर नियंत्रण के माध्यम से उत्पाद में गुणवत्ता सुनिश्चित करती है।
GMP को पहली बार वर्ष 1988 में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 की शेड्यूल M में शामिल किया गया था और अंतिम संशोधन जून, 2005 में किया गया था।
संशोधन के बाद, ‘गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) टर्म की जगह ‘गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए काम्प्लेक्स, प्लांट और इक्विपमेंट्स की आवश्यकताएं’ कर दिया गया है।
सरकार के अनुसार, यह संशोधन भारत के GM स्टैंडर्ड को वैश्विक मानकों, खासकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के बराबर लाएगा।
संशोधित शेड्यूल M में किए गए बदलावों में फार्मास्युटिकल गुणवत्ता प्रणाली (PQS), गुणवत्ता जोखिम प्रबंधन (QRM), उत्पाद गुणवत्ता समीक्षा (PQR), उपकरणों की योग्यता और सत्यापन और सभी दवा उत्पादों के लिए कम्प्यूटरीकृत भंडारण प्रणाली की शुरुआत शामिल हैं।
संशोधित नियम कंपनी टर्नओवर के आधार पर लागू किया जाना है। मध्यम और लघु दवा कंपनियों (₹250 करोड़ से कम वार्षिक कारोबार वाली) को 12 महीने के भीतर नए नियम लागू करने होंगे जबकि बड़ी दवा कंपनियों (₹250 करोड़ से अधिक वार्षिक कारोबार वाली) को छह महीने में इन नियमों को लागू करना होगा।