सरकार ने कुष्ठ रोग के इलाज लिए तीन दवाओं की मल्टी-ड्रग थेरेपी को मंजूरी दी

भारत सरकार ने कुष्ठ रोग (leprosy) के लिए एक नई उपचार प्रणाली को मंजूरी दे दी है, जिसका लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों से तीन साल पहले, 2027 तक उप-राष्ट्रीय स्तर पर इसके ट्रांसमिशन को रोकना है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने लेप्रोसी के पॉसी-बैसिलरी (PB) मरीजों के लिए छह महीने के लिए दो-दवा के स्थान पर तीन-दवा देने का निर्णय लिया है।

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी लेप्रोसी की ट्रीटमेंट के लिए तीन दवाएं की मंजूरी दी हुई हैं – डैपसोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमिन (dapsone, rifampicin and clofazimine)। इन तीन दवाओं के कॉम्बिनेशन को मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) कहा जाता है।

उपचार की अवधि पॉसी-बैसिलरी (PB) के मामलों के लिए छह महीने और मल्टीबैसिलरी (MB) मामलों के लिए 12 महीने है।

MDT रोगाणु को मारता है और रोगी को ठीक करता है। WHO MDT निःशुल्क उपलब्ध करा रहा है।

WHO के अनुसार, कुष्ठ रोग एक क्रोनिक इन्फेक्शन वाला रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री बैक्टीरिया (Mycobacterium leprae) के कारण होता है। कुष्ठ रोग एक नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (NTD) है।

उपचार न किए गए मरीजों के साथ निकट और बार-बार संपर्क के दौरान नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से बैक्टीरिया फैलता है।

यह रोग मुख्य रूप से त्वचा और पेरिफेरल तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। उपचार न किए जाने पर यह स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता है।

उपचार के उद्देश्य से कुष्ठ रोग के मामलों को दो टाइप्स में वर्गीकृत किया गया है: पॉसिबैसिलरी (PB) मामला और मल्टीबैसिलरी (MB) मामला

पॉउसी-बैसिलरी (PB) रोगियों में कम बैक्टीरिया दिखाई देते हैं और बायोप्सी में रोग के बढ़ने के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जबकि MB रोगियों में बैक्टीरिया दिखाई देते हैं और बायोप्सी में अधिक गंभीर बीमारी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

यह बीमारी अभी भी 120 से अधिक देशों में पाई जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी छह क्षेत्रों से रिपोर्ट किए गए कुष्ठ रोग का इलाज मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) से किया जा सकता है। इस रोग के अधिकतर नए मामले दक्षिण पूर्व एशिया में दर्ज किये जाते हैं।

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