गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS)

जनवरी 2025 में, पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome: GBS) संक्रमण के कई मामले सामने आये। बाद में इसके संक्रमण से इंसानी मौत की भी पुष्टि की गई। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ बीमारी  है, जिसमें किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है।

इस तरह यह ऑटो इम्यून डिजीज है। सभी उम्र के लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन यह वयस्कों और पुरुषों में अधिक आम है।

अधिकांश लोग गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के सबसे गंभीर मामलों से भी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के गंभीर मामले दुर्लभ हैं, लेकिन इसके परिणामस्वरूप लगभग पूर्ण पक्षाघात और सांस लेने में समस्या हो सकती है।

इसका कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमण होता है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर पर ही हमला करने लगती है।

बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) से संक्रमण, जो गैस्ट्रोएंटेराइटिस (मतली, उल्टी और दस्त के लक्षणों सहित) का कारण बनता है, GBS के लिए सबसे आम जोखिम कारकों में से एक है।

लोग फ्लू या साइटोमेगालोवायरस, एपस्टीन-बार वायरस और जीका वायरस सहित अन्य वायरल संक्रमण होने के बाद भी GBS की चपेट में आ सकते हैं।

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