ग्राउंड-लेवल ओजोन (O3) का बढ़ता स्तर
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर देश भर के उन 10 शहरों की सूची में सबसे ऊपर है, जिनमें ग्राउंड-लेवल ओजोन (O3) की उच्च सांद्रता यानि मात्रा पाई गई। यह अध्ययन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने जारी किया है।
CSE ने अपनी स्टडी में कहा कि हालांकि रात की हवा में ग्राउंड-लेवल ओजोन (ground-level ozone) आदर्श रूप से नगण्य हो जाना चाहिए, लेकिन 10 महानगरीय क्षेत्रों में एक दुर्लभ घटना देखी गई, जहां सूर्यास्त के बाद घंटों तक ओजोन का स्तर ऊंचा बना रहा।
ओजोन उड़ते हुए उन क्षेत्रों में इकट्ठा होता है जहां तुलनात्मक रूप से कम मात्रा में गैसीय प्रदूषक मौजूद होते हैं। इस प्रकार, शहरों के आसपास के स्वच्छ क्षेत्रों में यानी पार्टिकुलेट प्रदुषण रहित क्षेत्रों में अपेक्षाकृत तुलनात्मक रूप से ग्राउंड लेवल ओज़ोन की उच्च सांद्रता हो सकती है।
वैसे ग्राउंड लेवल ओजोन प्रदूषित क्षेत्रों में नाइट्रोजन ऑक्साइड के रिएक्शन के साथ बनाया जाता है, लेकिन यह उच्च NO2 वाले क्षेत्रों में भी रिएक्शन के रूप में अवशोषित हो जाता है। लेकिन जो ग्राउंड लेवल ओजोन शहरी क्षेत्रों से बचकर कम NO2 वाले स्वच्छ क्षेत्रों में पहुँचता है वह इसकी सांद्रता तेजी से बढ़ती है, क्योंकि NO2 की अनुपलब्धता इसके स्तर को कम करने में बाधा डालती है।
ग्राउंड लेवल ओजोन
क्षोभमंडलीय, या ग्राउंड लेवल ओजोन, सीधे हवा में उत्सर्जित नहीं होता है, बल्कि सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) के बीच केमिकल रिएक्शन द्वारा बनता है।
ऐसा तब होता है जब कारों, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, रिफाइनरियों, रासायनिक संयंत्रों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करते हैं।
रात्रि के समय ग्राउंड लेवल ओज़ोन की उपस्थिति विशेष रूप से परेशान करने वाला है। मुंबई-एमएमआर, दिल्ली-एनसीआर और पुणे जैसे शहरों में रात में भी ग्राउंड लेवल ओजोन का उच्च स्तर दर्ज किया गया है।
ओजोन को हवा द्वारा लंबी दूरी तक भी ले जाया जा सकता है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी उच्च ओजोन स्तर देखा जा सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, ओजोन के लिए एक घंटे का मानक 180µg/m3 है, और आठ घंटे का मानक 100µg/m3 है।