केंद्र सरकार ने ग्रीन क्रेडिट के लिए बंजर भूमि पर पेड़ लगाने की अनुमति दी
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ग्रीन क्रेडिट नियमों में संशोधन किया है। संशोधन, जो 26 फरवरी को प्रकाशित हुआ था, भूमि पात्रता के लिए स्पष्ट मानदंड तय करता है, आवेदन प्रक्रियाओं का फ्रेमवर्क तैयार करता है, और वृक्षारोपण गतिविधियों के माध्यम से प्राप्त ग्रीन क्रेडिट की गणना के लिए एक स्टैण्डर्ड सिस्टम पेश करता है।
अधिसूचना के अनुसार, ग्रीन क्रेडिट के लिए वृक्षारोपण अब केवल राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नियंत्रण में आने वाले डिग्रडेड भूखंड {लैंड-पार्सल) पर ही हो सकता है, जिसमें खुले जंगल, झाड़ीदार भूमि, बंजर भूमि और जलग्रहण क्षेत्र शामिल हैं।
ऐसी परियोजनाओं के लिए भूखंड का न्यूनतम आकार 5 हेक्टेयर निर्धारित है। ग्रीन क्रेडिट उन कार्यों को करने के लिए दिए जाने वाले प्रोत्साहन की एक यूनिट है जिसका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यह वृक्षारोपण, जल संरक्षण, सस्टेनेबल कृषि या प्रदूषण में कमी जैसी गतिविधियों के लिए एक अवार्ड पॉइंट की तरह काम करता है। ग्रीन क्रेडिट का उपयोग गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग के बदले किसी अन्य जगह वनीकरण आवश्यकताओं को पूरा करने या एनवायरनमेंट, सोशल और गवर्नेंस (ESG) और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) पहल में योगदान करने के लिए किया जा सकता है।
प्रतिपूरक वनीकरण लक्ष्यों (compensatory afforestation targets) को पूरा करने के लिए क्रेडिट का आदान-प्रदान भी किया जा सकता है।
ग्रीन क्रेडिट की खरीद-बिक्री एक मार्केट प्लेटफॉर्म पर किया जा सकता है, जिससे व्यक्तियों और संगठनों को अपने पर्यावरण-अनुकूल कार्यों के बदले में मुद्रा अर्जित करने और दूसरों को ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहन करने की अनुमति मिलती है।
डिग्रेडेड भूमि ऐसे भूखंड को कहते हैं जो पौधों के विकास और इकोसिस्टम का समर्थन करने की क्षमता खो चुकी है। ऐसा बहुत सारे पेड़ों को काटने, जानवरों के अधिक चराई, हानिकारक कृषि पद्धतियों या चरम मौसम की घटनाओं के कारण हो सकता है।