RBI ने ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए कैलेंडर जारी किया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए कैलेंडर जारी किया है। कैलेंडर के अनुसार, केंद्र सरकार 91-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 1.68 लाख करोड़ रुपये, 182-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 1.28 लाख करोड़ रुपये और 364-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 98,000 करोड़ रुपये उधार लेने वाली है। लिक्विडिटी की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने ट्रेजरी बिल की आपूर्ति में वृद्धि की है।
सरकारी प्रतिभूतियां (G-Secs)
सरकारी प्रतिभूति (G-Secs) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी खरीद-बिक्री (ट्रेड) योग्य इंस्ट्रूमेंट है। यह वास्तव में सरकार के ऊपर एक प्रकार का ऋण दायित्व होता है।
ऐसी प्रतिभूतियाँ अल्पावधि (आमतौर पर एक वर्ष से कम समय में मैच्योर होने वाली जैसे कि ट्रेजरी बिल) या दीर्घकालिक (आमतौर पर एक वर्ष या उससे अधिक की मच्योरिटी वाले सरकारी बांड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ) होती हैं।
G-Sec भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा आयोजित नीलामी के माध्यम से जारी की जाती हैं। यह नीलामी आरबीआई के कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) प्लेटफॉर्म ई-कुबेर नामक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाती है।
ऐतिहासिक रूप से G-Sec बाजार में प्रमुख प्रतिभागी बड़े संस्थागत निवेशक रहे हैं।
सरकारी प्रतिभूतियों में व्यापक भागीदारी और रिटेल होल्डिंग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खुदरा निवेशकों को दिनांकित भारत सरकार (GoI) प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों की चुनिंदा नीलामी में “बिना-प्रतिस्पर्धा” के भागीदारी की अनुमति है।
भारतीय रिजर्व बैंक का पब्लिक डेब्ट ऑफिस (PDO) सरकारी प्रतिभूतियों की रजिस्ट्री/डिपॉजिटरी के रूप में कार्य करता है।
ट्रेजरी बिल या टी-बिल (T-Bills)
ट्रेजरी बिल या टी-बिल, जो मुद्रा बाजार के साधन हैं, भारत सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले अल्पकालिक ऋण उपकरण हैं और वर्तमान में तीन अवधियों में जारी किए जाते हैं, अर्थात् 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन।
ट्रेजरी बिल जीरो कूपन प्रतिभूतियां हैं और इन पर कोई ब्याज नहीं देय होता है। इसकी बजाय, उन्हें अंकित मूल्य पर डिस्काउंट पर जारी किया जाता है और मैच्योरिटी पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है।
उदाहरण के लिए, ₹100/- (अंकित मूल्य) का 91 दिन का ट्रेजरी बिल ₹ 98.20 पर जारी किया जा सकता है, यानी, मान लीजिए ₹1.80 के डिस्काउंट पर और ₹100/- के अंकित मूल्य पर भुनाया जाएगा। निवेशकों को रिटर्न के रूप में मैच्योरिटी मूल्य या अंकित मूल्य (यानी ₹100) प्राप्त होगा।
दिनांकित (डेटेड) प्रतिभूतियाँ
दिनांकित (डेटेड) G-Secs ऐसी प्रतिभूतियाँ हैं जिनमें एक निश्चित या फ्लोटिंग कूपन (ब्याज दर) होता है जिसका भुगतान अर्ध-वार्षिक आधार पर अंकित मूल्य पर किया जाता है।
सामान्यतः दिनांकित प्रतिभूतियों की मैच्योरिटी अवधि 5 वर्ष से 40 वर्ष तक होती है।
अधिकांश दिनांकित प्रतिभूतियाँ फिक्स्ड कूपन प्रतिभूतियाँ होती हैं।
कैश मैनेजमेंट बिल (CMB)
2010 में भारत सरकार ने RBI के परामर्श से भारत सरकार के कैश फ्लो में कमी को पूरा करने के लिए कैश मैनेजमेंट बिल (CMB) नाम से एक नया अल्पकालिक इंस्ट्रूमेंट यानी प्रतिभूति पेश किया।
CMB भी टी-बिल (ट्रेजरी बिल) जैसी प्रतिभूति है, लेकिन इनकी मैच्योरिटी 91 दिनों से कम की होती हैं।
राज्य विकास ऋण (SDL)
राज्य सरकारें भी बाजार से ऋण जुटाती हैं जिन्हें राज्य विकास ऋण (State Development Loans: SDL) कहा जाता है।
SDL दिनांकित प्रतिभूतियां हैं जो केंद्र सरकार द्वारा जारी दिनांकित प्रतिभूतियों के लिए आयोजित नीलामी के समान सामान्य नीलामी के माध्यम से जारी की जाती हैं।
इनमे ब्याज अर्धवार्षिक आधार पर दिया जाता है और मूलधन मैच्योरिटी तिथि पर चुकाया जाता है।