फंड फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (FIAT)

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और संरचित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) की अवधि को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया है। यह विस्तार इन योजनाओं को 15वें वित्त आयोग की अवधि  ध्यान में रखकर किया गया है।

इसके साथ ही, सरकार ने तकनीकी इनोवेशन और अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए फंड फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (FIAT) नामक एक नया कोष स्थापित किया है, जिसका कुल बजट ₹824.77 करोड़ है। 

प्रमुख बिंदु:

  • PMFBY: यह फसल उत्पादन से जुड़े जोखिमों के कारण होने वाले नुकसान के खिलाफ किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।
  • RWBCIS: यह योजना मौसम से संबंधित जोखिमों से प्रभावित फसलों को कवर करती है। 
  • उपर्युक्त दोनों योजनाओं का उद्देश्य किसानों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है, जो अप्रत्याशित कृषि हानियों का सामना करते हैं। 

इसका उद्देश्य योजनाओं के कार्यान्वयन में तकनीकी नवाचार और प्रौद्योगिकी के समावेशन को बढ़ावा देना है।

कोष का उपयोग: फसल क्षति मूल्यांकन, दावों के निपटान को तेज करना और विवादों को कम करने के लिए। इस कोष का उपयोग  यील्ड एस्टिमेशन सिस्टम टेक्नोलॉजी (YES-TECH) और वेदर इनफॉर्मेशन एंड नेटवर्क डेटा सिस्टम्स (WINDS) के तहत तकनीकों को अपनाने तथा अन्य शोध कार्यों के लिए किया जाएगा।  

यील्ड एस्टिमेशन सिस्टम टेक्नोलॉजी (YES-TECH):

  • रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कर फसल उत्पादन का अनुमान।
  • तकनीकी आधार पर अनुमान को 30% का न्यूनतम वेटेज।
  • 9 प्रमुख राज्यों में लागू किया जा रहा है, जैसे आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा और उत्तर प्रदेश।
  • मध्य प्रदेश में पूरी तरह से तकनीक आधारित यील्ड अनुमान को अपनाया गया है।
  • लक्ष्य: पारंपरिक फसल कटाई प्रयोगों (Crop Cutting Experiments) को धीरे-धीरे समाप्त करना।

वेदर इंफॉर्मेशन एंड नेटवर्क डेटा सिस्टम्स (WINDS):

  • हाइपर-लोकल मौसम डेटा संग्रह पर ध्यान केंद्रित।
  • स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS) और स्वचालित वर्षा गेज (ARGs) के साथ मौसम डेटा संग्रह घनत्व में 5 गुना वृद्धि
  • केवल डेटा किराया लागत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वहनीय। 
  • 2023-24 में विभिन्न वजहों से लागू नहीं हो पाया।
  • 2024-25: WINDS के कार्यान्वयन का प्रथम वर्ष।
  • केंद्र सरकार द्वारा 90:10 के अनुपात में उच्च केंद्रीय फंड साझेदारी।
  • 9 प्रमुख राज्यों (केरल, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी) सहित अन्य राज्यों ने इसे लागू करने में रुचि दिखाई है।

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