वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2024

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (Global Cybersecurity Index: GCI) 2024 जारी किया है।

GCI पांच प्रमुख मापदंडों के आधार पर देशों का मूल्यांकन करता है। ये मापदंड हैं; कानूनी, तकनीकी, संगठनात्मक, क्षमता विकास और सहयोग।

‘GCI 2024’ ने एक नए पांच-स्तरीय विश्लेषण का उपयोग किया, एक बदलाव जो साइबर सुरक्षा प्रतिबद्धताओं के साथ प्रत्येक देश की प्रगति पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।

राष्ट्र की साइबर सुरक्षा प्रतिबद्धताओं और इसके प्रभावों के रोल-मॉडलिंग की बात की जाये तो भारत (98.49 स्कोर) टियर 1 पर पहुंच गया है।

सूचकांक में 46 देशों को टियर 1 में रखा गया है, जो पांचों टियर में सर्वोच्च है और यह “रोल मॉडलिंग” वाले देशों के लिए आरक्षित है। ये वे देश हैं जो सभी पाँच साइबर सुरक्षा मापदंडों यानी पिलर्स में मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हैं।

सूचकांक  में उजागर किए गए चिंताजनक खतरों में सरकारी सेवाओं और अन्य क्षेत्रों को टारगेट करने वाले रैनसमवेयर अटैक, कोर इंडस्ट्री को प्रभावित करने वाले साइबर अटैक, कॉस्टली सिस्टम आउटेज और व्यक्तियों और संगठनों की गोपनीयता का उल्लंघन शामिल हैं।

साइबर सुरक्षा के मामले में ज़्यादातर देश या तो “एस्टेब्लिशिंग” (टियर 3) या “इवॉल्विंग” (टियर 4) में शामिल हैं। इन टियर में 105 देशों ने बड़े पैमाने पर डिजिटल सेवाओं और कनेक्टिविटी का विस्तार किया है, लेकिन अभी भी साइबर सुरक्षा उपायों को एकीकृत करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, कई देशों और सभी क्षेत्रीय समूहों में  कौशल, स्टाफिंग, टूल्स और फंडिंग जैसी साइबर क्षमता कमियां दर्ज की गई हैं।

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