ग्लोबल एलायंस फॉर नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस के (GANHRI) और पेरिस सिद्धांत
एक दशक में दूसरी बार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त “राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के वैश्विक गठबंधन (Global Alliance of National Human Rights Institutions : GANHRI) ने नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप, जांच में पुलिस को शामिल करने, मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन और सिविल सोसाइटी के साथ खराब सहयोग जैसी आपत्तियों का हवाला देते हुए भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC-India) की मान्यता (accreditation) टाल दी है।
NHRC को लिखे गए GANHR के पत्र में कर्मचारियों और नेतृत्व में विविधता की कमी, और उपेक्षित समूहों की सुरक्षा के लिए अपर्याप्त कार्रवाई को भी मान्यता के टालने के कारणों के रूप में गिनाया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सात मानवाधिकार पर्यवेक्षकों/संस्थाओं ने NHRC-India की ‘A’ रैंक दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। इन संगठनों ने आयोग की स्वतंत्रता, बहुलवाद, विविधता और जवाबदेही की कमी के बारे में भी चिंता जताई जो राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों (‘पेरिस सिद्धांत’) के विपरीत हैं।
पेरिस सिद्धांत (Paris Principles)
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के पेरिस सिद्धांत, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1993 में अपनाया था, राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों (NHRI) को मान्यता देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंड प्रदान करते हैं।
पेरिस सिद्धांतों ने छह मुख्य मानदंड निर्धारित किए हैं जिन्हें NHRI को पूरा करना आवश्यक है। ये मानदंड हैं: मैंडेट और कार्यक्षमता; सरकार से स्वायत्तता; क़ानून या संविधान द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता; बहुलवाद; पर्याप्त संसाधन; और मामले की अन्वेषण की पर्याप्त शक्तियां।
GANHRI में सोलह, ‘A’ स्थिति वाले मानवाधिकार संसथान शामिल हैं, प्रत्येक क्षेत्र से चार, अर्थात् अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया-प्रशांत से।
‘A’ रैंक की मान्यता GANHRI के कार्य और निर्णय लेने के साथ-साथ मानवाधिकार परिषद और अन्य संयुक्त राष्ट्र तंत्रों के कार्य में भी भागीदारी प्रदान करती है।
NHRC-India की स्थापना 1993 में संसद द्वारा पारित मानवाधिकार अधिनियम के संरक्षण के तहत की गई है। इसे 1999 में NHRI के लिए मान्यता प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से ‘A’ स्थिति NHRI के रूप में मान्यता दी गई। वर्ष 2006 , 2011, और 2017 में भी यह मान्यता बरकरार रखी गयी।
NHRC-India का कहना है कि GANHRI, मान्यता पर उप-समिति (एससीए) के माध्यम से हर पांच साल में पेरिस सिद्धांतों के अनुपालन में NHRI की समीक्षा और मान्यता के लिए जिम्मेदार है।
इस प्रक्रिया के तहत, NHRC-India की समीक्षा मार्च 2023 में इसकी पुनः मान्यता के लिए होनी थी, जिसे एक वर्ष के लिए टाल दिया गया है, जिसका अर्थ है कि अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
ग्लोबल एलायंस फॉर नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस के (GANHRI)
13 दिसंबर 1993 को ट्यूनिस (ट्यूनीशिया) में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में, विश्व के राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के एक समूह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के वैश्विक नेटवर्क की नींव रखी थी, जिसे आज ग्लोबल एलायंस फॉर नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस के (GANHRI) के रूप में जाना जाता है।
यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन है। यह सदस्य-आधारित नेटवर्क संगठन है जो दुनिया भर से राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों को एक मंच पर लाता है।
महासभा GANHRI की सर्वोच्च विचार-विमर्श करने वाली संस्था है। GANHRI का प्रधान कार्यालय जिनेवा (स्विटजरलैंड) में पालिस डेस नेशंस के भीतर स्थित है। यह GANHRI का केंद्र भी है।
भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC-India)
भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC-India) की स्थापना 1993 में संसद द्वारा पारित मानवाधिकार अधिनियम के संरक्षण के तहत की गई है। इसे 1999 में NHRI के लिए मान्यता प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से ‘A’ स्थिति NHRI के रूप में मान्यता दी गई।
वर्ष 2006 , 2011, और 2017 में भी यह मान्यता बरकरार रखी गयी। ग्लोबल एलायंस फॉर नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस के (GANHRI) द्वारा मान्यता प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से इसे कई बार ‘ए’ स्थिति NHRI के रूप में मान्यता दी गई है।
NHRC-India एक अनूठी संस्था है क्योंकि यह दुनिया के ऐसे कुछ राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों में से एक है जिसके अध्यक्ष देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश होते हैं।
अधिनियम के तहत शिकायतों की जांच करते समय, आयोग के पास दंड प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत मुकदमे की सुनवाई करने वाली सिविल अदालत की सभी शक्तियां होती है।
मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामले में आयोग के पास शिकायतों की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में अपना स्वयं का जांच अधिकारी होता है।
अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी या जांच एजेंसी की सेवाओं का उपयोग करने के लिए आयोग को शक्तियां दी गयी है।
आयोग ने कई मामलों में गैर-सरकारी संगठनों को जांच कार्य में शामिल किया है।