उत्तर प्रदेश के सात उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग मिला
चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री ने उत्तर प्रदेश के 7 विभिन्न उत्पादों को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication: GI) टैग दिए हैं।
ये 7 उत्पाद हैं: ‘अमरोहा ढोलक’, ‘महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प’, ‘मैनपुरी तारकशी’, ‘संभल हॉर्न क्राफ्ट’, ‘बागपत होम फर्निशिंग्स’, ‘बाराबंकी हैंडलूम प्रोडक्ट’ और ‘कालपी हैंडमेड पेपर’।
अमरोहा ढोलक (Amroha Dholak) प्राकृतिक लकड़ी से बना एक संगीत वाद्ययंत्र है। ढोलक बनाने के लिए आम, कटहल और सागौन की लकड़ी को प्राथमिकता दी जाती है।
बागपत होम फर्निशिंग्स (Baghpat Home Furnishings): बागपत और मेरठ अपने विशेष हथकरघा गृह साज-सज्जा उत्पाद और पीढ़ियों से सूती धागे में चलने वाले कपड़ों के लिए प्रसिद्ध हैं, और हथकरघा बुनाई प्रक्रिया में केवल सूती धागे का उपयोग किया जाता है। पर्दे, किचन टॉवल, टेबल टावर, पिलो कुशन व अन्य फर्निशिंग उत्पाद इस क्षेत्र में बहुतायत से बनाये जा रहे हैं।
बाराबंकी हथकरघा उत्पाद (Barabanki Handloom Product): यह क्लस्टर अब सीधी रेखाओं, ज्यामितीय पैटर्न और बोल्ड डिज़ाइन में स्कार्फ, दुपट्टा और शॉल जैसे उत्पादों का निर्माण करता है।
कालपी हस्तनिर्मित कागज (Kalpi Handmade Paper): कालपी में हस्तनिर्मित कागज बनाने का क्लस्टर एक विशाल क्लस्टर है, जिसमें 5,000 से अधिक कारीगर और लगभग 200 इकाइयाँ शामिल हैं। रद्दी कागज और कपड़े के धागों से हस्तनिर्मित कागज बनाने की कला कालपी में प्रमुख है।
महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प (Mahoba Gaura Patthar Hastashlip): एक पत्थर शिल्प है। यह एक बहुत ही अनोखा और सॉफ्ट पत्थर है जिसका वैज्ञानिक नाम ‘पाइरो फ़्लाइट स्टोन’ है। गौरा पत्थर हस्तकला में इस्तेमाल होने वाला गौरा पत्थर एक शुभ्र सफ़ेद रंग का पत्थर होता है जो ख़ासतौर पर इस क्षेत्र में पाया जाता है। गौरा पत्थर हस्तकला की कला एवं शिल्प के क्षेत्र में अपनी एक अलग ही पहचान एवं महत्व है। हस्तकला में इस्तेमाल करने से पूर्व गौरा पत्थर को पहले छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है फिर उन टुकड़ो से विभिन्न सजावटी शिल्प वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
मैनपुरी तारकशी (Mainpuri Tarkashi): तारकशी, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की एक लोकप्रिय कला है, जो मुख्य रूप से लकड़ी पर पीतल के तार जड़ने का काम है। तारकशी एक ऐसी कला है जिसमें पीतल, तांबे या चांदी के तारों को लकड़ी में जड़ा जाता है। इस कला का इस्तेमाल ज़ेवरों के डिब्बे, नाम पट्टिका,खड़ाऊ (लकड़ी के सैंडल) इत्यादि की सजावट में होता है। मैनपुरी में इस कला के लिए ख़ासतौर पर शीशम की लकड़ी का इस्तेमाल होता है।
संभल हॉर्न क्राफ्ट (Sambhal Horn Craft): इस प्रकार के शिल्प में इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल मृत पशुओं के सींग से होता है, जिसके चलते यह उद्योग प्राकृतिक संतुलन के अनुकूल रहता है।