जेनेटिक रेस्क्यू प्रभाव से इबेरियन लिंक्स की संख्या में बढ़ोतरी
इबेरियन लिंक्स (Iberian lynx) कभी दुनिया की सबसे ज़्यादा खतरे में पड़ी बिल्ली की प्रजाति थी। यह ज़्यादातर स्पेन और पुर्तगाल के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। हाल ही में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार, इबेरियन लिंक्स की आबादी लगभग विलुप्त होने से उबर रही है।
2023 की गणना में 400 से ज़्यादा ब्रीडिंग मादाओं की रिपोर्ट की गई। 2002 में यह संख्या महज 25 के आसपास थी। इस सफलता की एक वजह “जेनेटिक रेस्क्यू” (genetic rescue) प्रभाव है, समान प्रजाति की अलग अलग-अलग जगहों पर बची हुई आनुवंशिक रूप से अलग आबादी को मिलाने से प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा देने में मदद मिली।
कम आनुवंशिक विविधता “इनब्रीडिंग डिप्रेशन” (inbreeding depression) को जन्म दे सकती है, जहाँ निकट संबंधी जानवर प्रजनन करते हैं और ऐसी संतान पैदा करते हैं जो जीवित रहने के लिए कम फ़िट होती हैं। कई बार इस स्थिति में पूरी आबादी या यहाँ तक कि प्रजातियों को विलुप्त होने के कगार पर धकेल सकता है।
आबादियों की आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए, संरक्षणकर्ता कभी-कभी “जेनेटिक रेस्क्यू” (genetic rescue)” तरीका का करते हैं। इसमें अलग-अलग आनुवंशिक विविधता आबादी की प्रजातियों को इस उम्मीद में एक साथ लाया जाता है ताकि वे स्थानीय जानवरों के साथ प्रजनन करेंगे, जिससे अंतःप्रजनन यानी “इनब्रीडिंग कम होगा और आनुवंशिक विविधता बढ़ेगी।
हालाँकि, बहुत ज़्यादा आनुवंशिक रूप से अलग जानवरों को शामिल करने से लाभकारी लक्षण बाधित या कम हो सकते हैं, जिससे आबादी की जीवित रहने और प्रजनन करने की क्षमता को नुकसान पहुँच सकता है। यह एक ऐसी घटना है जिसे “आउटब्रीडिंग डिप्रेशन” के रूप में जाना जाता है। इन जोखिमों के बावजूद, जेनेटिक रेस्क्यू संरक्षण में एक उपयोगी साधन बना हुआ है, हालाँकि इसे अक्सर सावधानी के साथ अपनाया जाता है।