गुजरात का गरबा नृत्य यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हुआ
गुजरात के पारंपरिक नृत्य ‘गरबा’ (Garba) को 6 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage: ICH) की सूची में शामिल किया गया था।
लोकप्रिय नृत्य शैली यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में जगह बनाने वाली भारत की 15वीं अमूर्त विरासत है। इसे 5 से 9 दिसंबर 2023 तक कसाने (बोत्सवाना) में आयोजित 18वें सत्र के दौरान शामिल किया गया।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 कन्वेंशन के प्रावधानों के तहत गरबा को शामिल किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक निकाय ने ‘गरबा’ को पूरे गुजरात राज्य और पूरे भारत में किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक और भक्ति पूर्ण नृत्य बताया। नवरात्रि के त्योहार के दौरान नौ दिनों तक गरबा आयोजित किया जाता है।
यह त्योहार नारी शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है। नारी शक्ति की सांस्कृतिक, प्रदर्शनात्मक और दृश्य अभिव्यक्ति गरबा नृत्य के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं।
विश्व की अन्य नयी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
‘गुजरात के गरबा’ के अलावा बांग्लादेश की रिक्शा पेंटिंग, थाईलैंड के सोंगक्रान उत्सव; मेडागास्कर के सेंट्रल हाइलैंड्स की एक प्रदर्शन कला हिरागासी (Hiragasy); बहामास का जंकनू (Junkanoo), और सूडान में पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन का जुलूस को भी शामिल किया गया है। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 के यूनेस्को कन्वेंशन की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में वर्तमान में 5 क्षेत्रों और 143 देशों के लगभग 704 तत्व हैं।
यूनेस्को की सूची में भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची
- वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा: 2008
- रामलीला- 2008,
- कुटियाट्टम,
- संस्कृत रंगमंच: 2008,
- रम्माण , गढ़वाल हिमालय का धार्मिक उत्सव और पारम्परिक थिएटर: 2009,
- मुदियेट्टू- पारम्परिक और नृत्य नाटक केरल: 2010,
- राजस्थान के कालबेलिया लोक गीत और नृत्य: 2010,
- छऊ नृत्य: 2010,
- लद्दाख के बौद्ध जाप: 2012,
- संकीर्तन-मणिपुर का अनुष्ठान गायन: 2013,
- ठठेरों के बीच बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प-जंडियाला गुरु, पंजाब: 2014,
- योग: 2016,
- नवरोज: 2016,
- कुंभ मेला: 2017,
- कोलकाता में दुर्गा पूजा-2021
- गरबा-2023