G-77 और ग्लोबल साउथ
विश्व के 77 विकासशील देशों के समूह (G-77) प्लस चीन (G-77+चीन) शिखर सम्मेलन क्यूबा की राजधानी हवाना में 16 सितंबर 2023 को समाप्त हुआ।
G-77
वर्ष 1964 में, 77 देशों के समूह ( G-77) देश जिनेवा में व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के पहले सत्र में ‘संयुक्त घोषणा’ पर हस्ताक्षर किये, जो विकासशील देशों का सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन बन गया।
इसका मैंडेट “सामूहिक आर्थिक हितों को स्पष्ट करना और बढ़ावा देना और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर उनकी संयुक्त सौदेबाजी क्षमता को बढ़ाना” था।
आज, G-77 में 134 देश शामिल हैं जिसमें एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, कैरेबियन और ओशिनिया (या एशिया-प्रशांत) के देश शामिल हैं।
सदस्य संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद इसने अपना नाम G-77 ही रहने दिया है। चूंकि चीन तकनीकी रूप से इस समूह से संबंधित नहीं है, इसलिए अधिकांश बहुपक्षीय मंचों पर इसे ‘G-77+चीन’ कहा जाता है। यह समूह एक प्रकार से ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधत्व करता है।
विडंबना यह है कि, ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द अमेरिका में गढ़ा गया था। 1969 में, शीत युद्ध के चरम पर, युद्ध-विरोधी अमेरिकी कार्यकर्ता कार्ल ओग्लेस्बी (Carl Oglesby) ने ‘उत्तर’ (नार्थ यानी धनी देश) द्वारा उत्पीड़न के खिलाफ अभियान चलाया था।
हालाँकि, ग्लोबल साउथ शब्द उन देशों का एक गलत प्रतिनिधित्व था जिनका इसका प्रतिनिधित्व करना था। भारत जैसे कई देश उत्तरी गोलार्ध में हैं, लेकिन ग्लोबल साउथ कहे जाते हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देश हैं जो ग्लोबल नॉर्थ के साथ रखा गया है ।