फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग को लेकर FSSAI ने किया सचेत
भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने विशेष रूप से आम के मौसम के दौरान फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड (Calcium carbide) पर लगाए गए प्रतिबंध का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यापारियों/विक्रेताओं/खाद्य व्यवसाय संचालकों को सचेत किया है।
कैल्शियम कार्बाइड, जो आमतौर पर आम जैसे फलों को पकाने के लिए उपयोग किया जाता है, एसिटिलीन गैस उत्सर्जित करता है, जिसमें आर्सेनिक और फास्फोरस के हानिकारक अंश होते हैं। ये पदार्थ, जिन्हें ‘मसाला’ के नाम से भी जाना जाता है, चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, जलन, कमजोरी, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा के अल्सर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
इसके अलावा, एसिटिलीन गैस भी उतनी ही खतरनाक है। ऐसी संभावना है कि कैल्शियम कार्बाइड उपयोग के दौरान यह फलों के सीधे संपर्क में आ सकता है और फलों पर आर्सेनिक और फास्फोरस के अवशेष छोड़ सकता है।
इन खतरों के कारण, खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियम, 2011 के तहत फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
एथिलीन गैस का उपयोग करने की अनुमति
प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड के बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी समस्या को ध्यान में रखते हुए, FSSAI ने भारत में फलों को पकाने के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में एथिलीन गैस का उपयोग करने की अनुमति दी है।
फसल, किस्म और परिपक्वता के आधार पर एथिलीन (Ethylene ) गैस का उपयोग 100 PPM तक की सांद्रता में किया जा सकता है। एथिलीन, फलों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक हार्मोन है, जो रासायनिक और जैव रासायनिक गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू और नियंत्रित करके पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।