सरकार ने शोधकर्ताओं के लिए 10,000 संपूर्ण जीनोम सैंपल्स सुलभ कराए
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘फ्रेमवर्क फॉर एक्सचेंज ऑफ डेटा प्रोटोकॉल (FeED)’ और इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (IBDC) पोर्टल का शुभारंभ किया, जिससे भारत और दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए 10,000 संपूर्ण जीनोम सैंपल्स सुलभ हो गए।
भारत के 10,000 मानव जीनोम 83 जनसंख्या समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कि देश के 4,600 जनसंख्या समूहों का लगभग 2% है। यह संग्रह रोग और औषधि चिकित्सा के संबंध में भविष्य में किए जाने वाले अनुसंधानों के लिए एक टेम्पलेट के रूप में काम करेगा।
जीनोम इंडिया डेटाबेस
यह ‘जीनोम इंडिया’ डेटाबेस, अब दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए स्टडी के लिए उपलब्ध होगा और इसे हरियाणा के फरीदाबाद में इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (IBDC) में रखा गया है।
जीनोम के प्रथम विश्लेषण से अनुमान लगाया गया है कि लगभग 27 मिलियन लो-फ्रीक्वेंसी (या अपेक्षाकृत दुर्लभ) वैरिएंट हैं, जिनमें से 7 मिलियन वैरिएंट विश्व भर के समान रिफरेन्स डेटाबेस में नहीं पाए गए।
कुछ जनसंख्या समूहों में एलील (जीन वैरिएंट) की हाई फ्रीक्वेंसी या एक ही जीन के विभिन्न संस्करण पाए जाते हैं। पिछले दो दशकों में, कई देशों ने अपनी जनसंख्या के जीनोम का डेटाबेस तैयार किया है – जिसमें विभिन्न उद्देश्यों के लिए रोग जोखिम, दवा के साइड इफेक्ट्स का अनुमान लगाना, वंशावली और डीएनए-प्रोफाइलिंग डेटाबेस की स्थापना शामिल है।
जीनोम इंडिया की खोजें सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं हैं – इनमें बीमारियों के उपचार की क्षमता भी है, तथा बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्रिसिजन मेडिसिन को बढ़ावा देने की क्षमता है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की अगुवाई में ‘जीनोमइंडिया’ परियोजना का उद्देश्य भारत की आनुवंशिक विविधता का एक मजबूत और व्यापक डेटाबेस तैयार करना है।
यह डेटा अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए आधार का काम करेगा और mRNA आधारित टीके, प्रोटीन निर्माण और आनुवंशिक विकार उपचार जैसे क्षेत्रों में इनोवेशन को उत्प्रेरित करेगा।