Foucault Pendulum: नए संसद भवन में स्थापित फौकॉल्ट पेंडुलम क्या है?
प्रधानमंत्री ने 28 मई को नई दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। नए संसद भवन की कई विशेषताएं हैं। इन्हें में से एक फौकॉल्ट पेंडुलम (Foucault pendulum) है जो ‘कॉन्स्टिट्यूशनल गैलरी’ क्षेत्र में सस्पेंडेड स्थिति में स्थापित की गयी है। इसे राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM), कोलकाता द्वारा डिजाइन और स्थापित किया गया है।
फौकॉल्ट पेंडुलम के बारे में
फौकॉल्ट पेंडुलम का नाम फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट (1819-1868) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार 19वीं शताब्दी के मध्य में इस उपकरण को तैयार किया था।
इस उपकरण का उपयोग पृथ्वी के घूर्णन ( earth’s rotation) को दर्शाने के लिए किया जाता है। जिस समय फौकॉल्ट ने पेंडुलम का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया था, उस समय तक पृथ्वी के घूर्णन को साबित किया जा चुका था। इसलिए इस उपकरण को पृथ्वी के घूर्णन को पहली बार दर्शाने का श्रेय नहीं दिया जाता है। पर हाँ, इस उपकरण की उपलब्धि यह थी कि इसने बिना किसी जटिल खगोलीय ऑब्ज़र्वेशन और गणना के पृथ्वी के घूर्णन को दर्शाया।
फौकॉल्ट पेंडुलम में छत में एक निश्चित बिंदु से एक लंबे, मजबूत तार के अंत में सस्पेंडेड एक भारी बॉब (गोलक) होता है। जैसे ही पेंडुलम झूलता है, वह काल्पनिक सतह जिसके आर-पार तार और बॉब स्वाइप करते हैं, झूले का तल (plane of the swing) कहलाता है।
यदि पेंडुलम को उत्तरी ध्रुव पर स्थापित किया जाता है, तो पेंडुलम मूल रूप से झूल रहा होगा क्योंकि पृथ्वी ‘नीचे’ घूमती है। हालांकि, पृथ्वी की सतह पर खड़े किसी व्यक्ति को पृथ्वी के घूमने का एहसास नहीं होता है (समय-समय पर आकाश की ओर देखे बिना); इसके बजाय, वे तब पेंडुलम के झूले का तल (plane of the swing) एक फुल सर्किल घूमता हुआ देख सकते हैं जब पृथ्वी एक चक्कर पूरा करती है।
यदि पेंडुलम को भूमध्य रेखा के ऊपर स्थापित किया जाता है, तब झूले का तल (plane of the swing) बिल्कुल भी शिफ्ट नहीं होगा क्योंकि यह पृथ्वी के साथ-साथ घूम रहा होगा।