फॉर्मेल्डिहाइड क्या है?

वैज्ञानिकों ने एक नया कम लागत वाला सेंसर विकसित किया है जो नॉन-इनवेसिव तरीके से कमरे के तापमान पर मछलियों में फॉर्मेलिन मिलावट (formalin adulteration) का पता लगा सकता है। फॉर्मेल्डिहाइड (Formaldehyde) को फॉर्मेलिन के रूप में जलीय या तरल रूप में भंडारित रखा जाता है।

भोजन को अधिक आकर्षक दिखाने या उसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए उसमें गैर-कानूनी या हानिकारक पदार्थ मिला दिया जाता है। इसे ही खाद्य पदार्थों में मिलावट कहा जाता है।

फॉर्मेल्डिहाइड एक रंगहीन, तीखी गैस है जिसका उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जिसमें मछली सहित कुछ खाद्य पदार्थों में संरक्षक के रूप में शामिल है।

हालांकि, खाद्य पदार्थों में फार्मेल्डिहाइड का उपयोग कई देशों में गैर-कानूनी है, क्योंकि कई रिपोर्ट्स में इससे कैंसर होने के खतरे की बात कही गयी है।

फॉर्मेल्डिहाइड के प्रभाव में आने या सेवन से त्वचा, गले, फेफड़े और आंखों में जलन हो सकती है।

फॉर्मेल्डिहाइड के बार-बार प्रभाव में आने से संभवतः कैंसर हो सकता है।

फॉर्मल्डिहाइड (Formaldehyde) के एक्सपोज़र से श्रमिकों को नुकसान हो सकता है। एक्सपोज़र का स्तर खुराक, अवधि और किए जा रहे कार्य पर निर्भर करता है।

भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मछली जैसे ताजे खाद्य पदार्थों में इस रसायन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

फॉर्मेल्डिहाइड प्राकृतिक रूप से न केवल मछली में, बल्कि मशरूम जैसे अन्य खाद्य पदार्थों में भी प्राप्त होता है।

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