सरकार ने SO2 मानदंड अनुपालन के लिए ताप विद्युत संयंत्रों को दो साल का और समय दिया

थर्मल पावर प्लांट्स को ग्रीनहाउस गैस, सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) के उत्सर्जन को कम करने के लिए फ्लू -गैस डिसल्फराइजेशन सिस्टम (flue-gas desulphurisation system: FGD) जैसी प्रौद्योगिकी स्थापित करने के लिए अतिरिक्त दो साल का समय दिया गया है, क्योंकि ये प्लांट्स फिर से अनुपालन करने के लिए समय सीमा को पूरा करने में विफल रहे हैं।

एक फ्लू-गैस डिसल्फराइजेशन सिस्टम (FGD) प्रणाली में, सल्फर यौगिकों को जीवाश्म-ईंधन वाले विद्युत् स्टेशनों के एग्जॉस्ट उत्सर्जन से हटा दिया जाता है।

5 सितंबर को जारी एक अधिसूचना में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने SO2 मानदंडों को पूरा करने के लिए समय सीमा 31 दिसंबर, 2027 तक बढ़ा दी है। यह डेडलाइन उन पावर प्लांट्स के लिए है जिनकी सेवा जल्द समाप्त होने वाली हैं, जबकि 31 दिसंबर, 2026 की डेडलाइन उन संयंत्रों के लिए तय की गयी है जो उस अवधि के बाद भी विद्युत् उत्पादन जारी रखेंगे।

मंत्रालय पहले ही SO2 और अन्य प्रदूषण मानदंडों को पूरा करने के लिए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को दो बार डेडलाइन विस्तार दे चुका है। कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों से पार्टिकुलेट मैटर, SO2, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पारा को नियंत्रित करने के लिए उत्सर्जन मानदंड दिसंबर 2015 में अधिसूचित किए गए थे, जिसकी समय सीमा दिसंबर 2017 थी।

वर्ष 2017 में, मंत्रालय ने उत्सर्जन मानक का अनुपालन करने के लिए डेडलाइन को बढाकर 2022 तक कर दिया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिजली उत्पादन संयंत्रों को SO2 मानकों को पूरा करने के लिए 2020 की एक सख्त समय सीमा दी गई थी। लेकिन कोई प्रगति नहीं होने के बाद, वर्ष 2021 में डेडलाइन को फिर से बढाकर 2025 कर दिया गया था।

मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 10 किमी के भीतर और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में नए उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने के लिए थर्मल पावर प्लांटों के लिए समय सीमा वर्ष 2020 से बढाकर दिसंबर 2022 कर दिया था।

गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों या नॉन अटेन्मेन्ट सिटीज (non-attainment cities) के 10 किमी के दायरे में स्थित ताप विद्युत संयंत्रों को 31 दिसंबर, 2023 तक मानकों को पूरा करने की अनुमति दी गई है, जबकि शेष शहरों को 31 दिसंबर, 2024 तक का समय दिया गया है।

इस बार दो साल का डेडलाइन विस्तार केवल सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) के मामले में दिया गया है।

गैर-प्राप्ति वाले शहर (non-attainment cities) वे हैं जो राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता (National Ambient Air Quality Standards) मानकों को पूरा करने में लगातार विफल रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ऐसे 132 शहरों की पहचान की है।

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