WMO की पहली ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल वाटर रिसोर्सेज’ रिपोर्ट
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने पृथ्वी के जल संसाधनों पर जलवायु, पर्यावरण और सामाजिक परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने के लिए अपनी पहली वैश्विक जल संसाधन रिपोर्ट (State of Global Water Resources) प्रकाशित की है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
इस वार्षिक स्टॉकटेक का उद्देश्य बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के युग में वैश्विक मीठे पानी के संसाधनों की निगरानी और प्रबंधन का समर्थन करना है।
यह रिपोर्ट नदी के प्रवाह के साथ-साथ बाढ़ और सूखे की स्थिति पर भी रिपोर्ट देती है।
यह मीठे पानी (freshwater) के भंडारण में बदलाव के लिए हॉटस्पॉट में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और क्रायोस्फीयर (बर्फ और हिम) की महत्वपूर्ण भूमिका और वल्नेरेबिलिटी पर प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में, 3.6 बिलियन लोगों को प्रति वर्ष कम से कम एक महीने पानी की कमी का सामना करना पड़ता है और 2050 तक यह बढ़कर 5 बिलियन से अधिक होने की आशंका है। 2001 और 2018 के बीच सभी प्राकृतिक आपदाओं में से 74% जल से संबंधित थीं।
रिपोर्ट का पहला संस्करण स्ट्रीमफ्लो (streamflow), स्थलीय जल भंडारण (terrestrial water storage) और क्रायोस्फीयर (cryosphere) पर केंद्रित है।
स्ट्रीमफ्लो किसी भी समय नदी से बहने वाले पानी की मात्रा है। सतह और सतह की नीचे के जल को स्थलीय जल भंडार कहा जाता है। बर्फ और हिमनद के रूप में जमे पानी को क्रायोस्फीयर कहा जाता है।
क्रायोस्फीयर
क्रायोस्फीयर में ग्लेशियर, स्नो कवर, आइस कैप और पर्माफ्रॉस्ट शामिल हैं।
क्रायोस्फीयर मीठे पानी का दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक जलाशय है। पहाड़ों को अक्सर प्राकृतिक “जल मीनार” (water towers) कहा जाता है क्योंकि ये नदियों और लगभग 1.9 अरब लोगों के लिए मीठे पानी की आपूर्ति का स्रोत हैं।
क्रायोस्फीयर जल संसाधनों में परिवर्तन खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र की बनावट और रखरखाव को प्रभावित करता है, और आर्थिक और सामाजिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इस तरह के बदलावों से ग्लेशियर झील के फटने के कारण नदी में बाढ़ और फ्लैश फ्लड जैसे खतरे भी पैदा होते हैं।
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