वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 राज्यसभा में पेश किया गया

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 7 दिसंबर को राज्यसभा में वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 (Wildlife Protection (Amendment) Bill 2022) पेश किया। इस विधेयक को लोकसभा ने 3 अगस्त 2022 को पारित किया था।

बिल का उद्देश्य वन्यजीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को लागू करना सुनिश्चित करना है। यह विधेयक CITES कन्वेंशन द्वारा संरक्षित प्रजातियों की संख्या का विस्तार करता है।

CITES के तहत भारत के दायित्वों को पूरा करने के लिए संशोधन पेश किया गया है। भारत CITES का सदस्य है।

भारत में वन्यजीवों के अवैध व्यापार को सीमा शुल्क अधिनियम, निर्यात-आयात नीति, विदेश व्यापार महानिदेशालय और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत नियंत्रित किया जाता है। CITES ने वन्यजीवों के अवैध व्यापार के लिए अलग नियमन का प्रावधान करने की सिफारशी की है। इसलिए यह संशोधन पेश किया गया है।

वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 की प्रमुख विशेषताएं

  • विधेयक वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करता है।
  • इसमें धारा 43 का एक खंड शामिल है जो ‘धार्मिक या किसी अन्य उद्देश्य’ के लिए हाथियों के उपयोग की अनुमति देता है। हाथी एकमात्र ऐसे जंगली जानवर हैं जिसे भारत में कोई व्यक्ति निजी स्वामित्व में रख सकता है। वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 की धारा 43 (1) हाथी जैसे बंदी जानवरों (कैप्टिव) की बिक्री पर रोक लगाती है, ‘उपहार’ या ‘दान’ इसके व्यापार पर प्रतिबन्ध नहीं है।
  • यह विधेयक अनुसूचियों की संख्या 6 से घटाकर 4 कर दिया है।
  • पिछले वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में विशेष रूप से संरक्षित पौधों के लिए 1, विशेष रूप से संरक्षित जानवरों के लिए 4 और वर्मिन प्रजाति (रोग के वाहक छोटे जानवर और भोजन को नष्ट  करने वाले जानवर) के लिए 1  अनुसूची थी। संशोधित बिल वर्मिन प्रजातियों के लिए शेड्यूल को समाप्त करके और विशेष रूप से संरक्षित जानवरों के लिए शेड्यूल की संख्या को 4 से घटाकर दो कर दिया है।  इस तरह शेड्यूल/अनुसूची की कुल संख्या को घटाकर चार कर दिया है।
  • यह CITES के तहत सूचीबद्ध प्रजातियों के लिए एक नया शेड्यूल भी सम्मिलित करता है।
  • यह विधेयक केंद्र सरकार को एक प्राधिकरण नामित करने का प्रावधान करता है जो प्रजातियों के व्यापार के लिए निर्यात या आयात लाइसेंस प्रदान करेगा। जो कोई भी अनुसूचित प्रजातियों का ट्रेड करता है, उसे लेन-देन की बारीकियों के बारे में उपयुक्त प्राधिकारी को सूचित करना होगा।
  • अनुसूचित जानवरों के जीवित प्रजाति रखने वाले लोगों को प्रबंधन प्राधिकरण से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।  
  • यह विधेयक सरकार को  आक्रामक विदेशी प्रजातियों ( invasive alien species), या जो भारत की देशी प्रजाति नहीं हैं, के आयात, व्यापार और कैप्टिव को नियंत्रित करने या अवैध करने का अधिकार देता है।
  • विधेयक में कानून  के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए जुर्माने की राशि बढ़ा दी गयी  है। 1972 के अधिनियम के तहत, सामान्य जुर्माना ₹ 25,000 तक था जिसे बढ़ाकर ₹ 1,00,000 कर दिया गया है। विशेष रूप से संरक्षित जानवरों के लिए प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए, पिछला जुर्माना ₹10,000 तक था और अब इसे बढ़ाकर कम से कम ₹25,000 कर दिया गया है।
  • यह विधेयक वन्यजीव अभयारण्यों के अधिक नियंत्रण और विनियमन को भी सुनिश्चित करेगा और सरकार को  अभयारण्यों या राष्ट्रीय उद्यानों के बगल में स्थित  क्षेत्र को वनस्पतियों और जीवों की रक्षा के लिए कंज़र्वेशन रिज़र्व (conservation reserve) अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
  • इसके अतिरिक्त, बिल किसी भी व्यक्ति को किसी भी बंदी जानवरों या पशु उत्पादों को स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करने का प्रावधान करता है जिसके लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा और आइटम राज्य सरकार की संपत्ति बन जाएंगे।

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