क्रायोमेश टेक्नोलॉजी से ग्रेट बैरियर रीफ कोरल के लार्वा को किया गया फ्रीज
दुनिया में अपनी तरह के पहले प्रयोगशाला परीक्षण में वैज्ञानिकों ने ग्रेट बैरियर रीफ कोरल (Great Barrier Reef coral) के लार्वा को फ्रीज कर दिया है ताकि इसे बाद में फिर से अनुकूल माहौल में पुनर्जीवन हेतु वापस ग्रेट बैरियर रीफ में छोड़ा जा सके।
वैज्ञानिकों ने क्रायोमेश (cryomesh) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंसेज (AIMS) में इसे फ्रीज किया है।
कोरल परीक्षण के लिए चट्टान से मूंगा एकत्र किया गया था। मेश तकनीक कोरल लार्वा को -196C (-320.8°F) तापमान पर स्टोर करने में मदद करेगी।
बता दें कि पूर्वोत्तर ऑस्ट्रेलिया के तट के साथ 2,253 किलोमीटर में जल के नीचे फैला कोरल रीफ जंगल प्राकृतिक दुनिया के महान आश्चर्यों में से एक है।
ग्रेट बैरियर रीफ ने पिछले सात वर्षों में चार ब्लीचिंग घटनाओं का सामना किया है, जिसमें ला नीना घटना के दौरान पहली बार ब्लीचिंग भी शामिल है, जो आमतौर पर ठंडा तापमान लाती है।
क्या हैं कोरल/प्रवाल/मूंगा?
प्रवाल/मूंगा (Coral) अकशेरुकी जंतुओं ( invertebrate animals) के विविध समूह हैं। आज हम जिसे प्रवाल कहते हैं वे वास्तव में ‘पॉलीप्स’ (polyps) नामक सैकड़ों एवं हजारों जंतुओं से निर्मित है।
कोरल पॉलीप्स (polyps) छोटे, मुलायम शरीर वाले जीव होते हैं जो जेलीफ़िश और समुद्री एनीमोन से संबंधित होते हैं। वे रंगीन और आकर्षक जानवरों के एक बड़े समूह से संबंधित हैं जिन्हें निडारिया (Cnidaria) कहा जाता है।
कोमल शरीर वाला प्रत्येक पॉलीप चूना पत्थर (कैल्सियम कार्बोनेट) को छिपाये रहता है जो चट्टानों से या फिर किसी अन्य पॉलीप्स की मृत हड्डियों जुड़ा होता है।
प्रवाल बिना डंठल का होता है जिसका मतलब होता है कि ये हमेशा महासागरीय फ्लोर से जोड़े रखते हैं। इसका यह भी मतलब होता है कि ये पौधों की तरह जड़ धारण करते हैं। इसके बावजूद इन्हें पौधा नहीं माना जाता बल्कि जीव माना जाता है क्योंकि ये पौधों की तरह अपना भोजन खुद नहीं बनाते।
प्रवाल का जूजैंथिली (zooxanthellae) कहे जाने वाले सूक्ष्मदर्शी शैवाल से सिम्बायोटिक यानी सहजीवी संबंध है जो इनके उत्तकों में निवास करते हैं। ये शैवाल कोरल का प्राथमिक खाद्य स्रोत है और इसे इनका रंग प्रदान करता है।
गर्म पानी के तापमान के परिणामस्वरूप प्रवाल विरंजन हो सकता है। जब पानी बहुत गर्म होता है, तो मूंगे अपने ऊतकों में रहने वाले शैवाल (zooxanthellae) को बाहर निकाल देते हैं, जिससे मूंगा पूरी तरह से सफेद हो जाएगा। इसे प्रवाल विरंजन या कोरल ब्लीचिंग कहा जाता है।