सदस्य देश ‘खुले समुद्र संधि’ (high seas) पर समझौता करने में विफल रहे
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य खुले समुद्रों (high seas) में समुद्री जैव विविधता के संरक्षण के लिए अपनी तरह के एक अनूठे समझौते पर विचार-विमर्श के लिए जमा हुए थे। खुले समुद्र से तात्पर्य है महासागर के वे क्षेत्र जो राष्ट्रों के प्रादेशिक जल से परे (beyond countries’ territorial waters) हैं। हालाँकि, सरकारों के बीच संधि की शर्तों पर सहमति नहीं बन पाई।
हाई-सी संधि (high seas treaty)
राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता संधि (Biodiversity Beyond National Jurisdiction treaty) पर कई वर्षों से चर्चा चल रही है।
समुद्र संरक्षण पर अंतिम अंतर्राष्ट्रीय समझौता 40 साल पहले 1982 में – समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention on the Law of the Sea: UNCLOS) पर हस्ताक्षर किए गए थे।
खुले समुद्र में पृथ्वी की सतह का लगभग 45% हिस्सा है।
दुनिया के लगभग दो-तिहाई महासागरों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय जल के बावजूद, केवल 1.2% ही संरक्षित है।
प्रस्तावित संधि अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (Exclusive Economic Zones) से परे मौजूद महासागर से संबंधित है। अनन्य आर्थिक क्षेत्र किसी देश के तट से लगभग 200 समुद्री मील या 370 किमी समुद्र में स्थित है, जहां तक इसे अन्वेषण के विशेष अधिकार प्राप्त हैं। उससे आगे के जल को खुले समुद्र या हाई-सी (high seas) के रूप में जाना जाता है।
इस संधि पर 1982 के समुद्र के कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के तहत बातचीत की जानी थी जो समुद्री संसाधनों के संबंध में देशों के अधिकारों को नियंत्रित करता है।
हाई एम्बिशन कोएलिशन ( High Ambition Coalition), जिसमें अब भारत, अमेरिका और यूके सहित 100 से अधिक देश हैं, ने महासागर संरक्षण के लिये ’30×30′ लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया है जिसका मतलब है वर्ष 2030 तक समुद्र के 30% की रक्षा करना।
न्यूयॉर्क हाई सी संधि चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित थी:
समुद्री संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन में सुधार
विकासशील देशों को वित्त और क्षमता निर्माण प्रदान करना
समुद्री आनुवंशिक संसाधनों जैसे कि समुद्र में पौधों और जानवरों से प्राप्त जैविक सामग्री जो समाज के लिए लाभकारी हो सकती है, जैसे कि फार्मास्यूटिकल्स, औद्योगिक प्रक्रियाएं और भोजन को साझा करना।