सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार-क्षेत्र के विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र (jurisdiction) के विस्तार पर विवाद पर सुनवाई करेगा। 11 अक्टूबर, 2021 को गृह मंत्रालय ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में BSF के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए एक अधिसूचना जारी की। इसे पंजाब सरकार ने चुनौती दी थी।

BSF अधिनियम की धारा 139(1) केंद्र सरकार को एक आदेश के माध्यम से, “भारत की सीमाओं से सटे ऐसे क्षेत्र की स्थानीय सीमा के भीतर” एक क्षेत्र को नामित करने की अनुमति देती है, जहां BSF  केंद्र सरकार निर्दिष्ट किसी भी अधिनियम के तहत अपराध को रोकने के लिए शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।  

अक्टूबर 2021 में जारी अधिसूचना से पहले, BSF पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा से 15 किलोमीटर के भीतर अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता था। केंद्र ने  इसे बढ़ाकर 50 किलोमीटर  कर दिया है। गुजरात में, BSF का अधिकार क्षेत्र बॉर्डर से मौजूदा 80 किमी से घटाकर 50 किमी कर दी गई। राजस्थान में, 50 किलोमीटर की सीमा अपरिवर्तित रखी गयी है।

अधिसूचना में कहा गया है कि 50 किलोमीटर के इस बड़े क्षेत्राधिकार के भीतर, BSF केवल दंड प्रक्रिया संहिता, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के तहत शक्तियों का प्रयोग कर सकता है। अन्य केंद्रीय कानूनों के लिए, 15 किलोमीटर की सीमा रखी गयी है।

गौरतलब है  BSF एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) है जो केंद्र सरकार के अधीन कार्य करता है। इसकी स्थापना 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की गई थी।

BSF अधिनियम 1968 में संसद द्वारा पारित किया गया था और अधिनियम को नियंत्रित करने वाले नियम 1969 में बनाए गए थे।

गृह मंत्रालय BSF और अन्य CAPFs जैसे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) , भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और असम राइफल्स से संबंधित सभी आदेश जारी करता है।

भारत राज्यों का संघ है और एक सीमा एक बल नीति के तहत, BSF को पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमाओं पर तैनात किया गया है।

इसे वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित क्षेत्रों में भी तैनात किया जाता है और राज्य सरकारों के अनुरोध पर इसे नियमित रूप से चुनाव और अन्य कानून व्यवस्था कर्तव्यों के लिए तैनात किया जाता है। 

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