भारत में आयकरदाताओं की संख्या 10 करोड़ से अधिक हुई
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के नवीनतम टाइम सीरीज डेटा (time series data) से पता चला है कि भारत में आयकरदाताओं की संख्या 10 करोड़ से अधिक हो गई है। डेटा से यह भी पता चला है कि एक साल के अंतराल के बाद, कर उछाल (tax buoyancy) फिर से 2 को पार कर गया है, और पिछले 14 वर्षों में यह दूसरा सबसे अधिक दर है।
आयकर विभाग एक “करदाता” (taxpayer) को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसने या तो संबंधित आकलन वर्ष (Assessment Year: AY) के लिए आयकर रिटर्न दाखिल किया है या जिसके मामले में संबंधित वित्तीय वर्ष में स्रोत पर कर (deducted at source) काटा गया है, लेकिन करदाता ने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
आंकड़ों से पता चला है कि आकलन वर्ष 2013-14 के अंत में करदाताओं की संख्या 5.26 करोड़ से बढ़कर आकलन वर्ष 2023-24 के अंत में 10.41 करोड़ हो गई, जो लगभग 98 प्रतिशत की वृद्धि है।
हालांकि आयकर विभाग ने वृद्धि का कोई कारण नहीं बताया है, लेकिन अधिकारी इस वृद्धि का श्रेय अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण और इसके परिणामस्वरूप टैक्स बेस के बढ़ने को देते हैं।
टैक्स बायोएंसी
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक वर्किंग पेपर में टैक्स बायोएंसी को नॉमिनल जीडीपी में वृद्धि और कर नीतियों में विवेकाधीन परिवर्तनों के सापेक्ष कर राजस्व में परिवर्तन के मापन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में सकल कर राजस्व में प्रतिशत परिवर्तन और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है।
वास्तव में टैक्स बायोएंसी राष्ट्रीय आय में परिवर्तन और समय के साथ कर नीतियों में विवेकाधीन परिवर्तनों, दोनों के सापेक्ष कर राजस्व में बदलाव को मापती है, और इसे पारंपरिक रूप से आय में एक प्रतिशत परिवर्तन के सापेक्ष राजस्व में प्रतिशत परिवर्तन के रूप में दर्शाया जाता है।
वैसे तो, कर प्रणाली की लोच (elasticity of the tax), टैक्स बायोएंसी से निकटता से संबंधित है, लेकिन कर प्रणाली की लोच अन्य सभी मापदंडों (कर कानून सहित) को स्थिर रखते हुए राष्ट्रीय आय में परिवर्तनों के सापेक्ष कर राजस्व में परिवर्तन का मापन भर है। टैक्स बायोएंसी में इस परिवर्तन के अलावा नीतियों में विवेकाधीन परिवर्तनों के सापेक्ष कर राजस्व में परिवर्तन का मापन को भी शामिल किया जाता है।