पश्चिम बंगाल सरकार ने चार नए जैव विविधता विरासत स्थलों (BHS) को अधिसूचित किया
पश्चिम बंगाल सरकार ने चार और जैव विविधता विरासत स्थलों (Biodiversity heritage sites: BHS) को अधिसूचित किया है, जिससे राज्य में BHS की कुल संख्या आठ हो गई है।
BHS समृद्ध जैव विविधता के साथ अद्वितीय और पारिस्थितिक रूप से नाजुक पारिस्थितिक तंत्र वाले परिभाषित क्षेत्र हैं।
जैव विविधता विरासत स्थलों के महत्व और उद्देश्यों को जैव विविधता अधिनियम 2002 (Biological Diversity Act of 2002) की धारा 37 में रेखांकित किया गया है।
राज्य सरकार, समय-समय पर, स्थानीय निकायों के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में जैव विविधता के महत्व के क्षेत्रों को जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में अधिसूचित कर सकती है।
जैव विविधता विरासत स्थलों की घोषणा स्थानीय समुदायों की प्रचलित गतिविधियों और उपयोगों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाती है, सिवाय यदि ये स्वेच्छा से किसी गतिविधि को उस क्षेत्र में त्याग करते हैं। इसके विपरीत इको-सेंसिटिव जोन, नेशनल पार्क जैसे संरक्षित क्षेत्रों में कई प्रकार की गतिविधियां प्रतिबंधित होती हैं।
प्रमुख तथ्य
पश्चिम बंगाल में अब देश में सबसे अधिक जैव विविधता विरासत पार्क हैं।
राज्य सरकार ने चार बालिडांगा (नदिया), नमथिंग पोखरी (दार्जिलिंग), अमखोई वुड फॉसिल पार्क/Amkhoi Wood Fossil Park (बीरभूम) और स्टेट हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टेशन (नादिया) को चार नवीनतम जैव विविधता विरासत पार्कों के रूप में अधिसूचित किया है।
कालीगंज ब्लॉक में स्थित चार बालिडांगा में 115 एकड़ में फैले दो द्वीप शामिल हैं। इसमें लंबी घासों और पेड़ों के साथ उष्णकटिबंधीय नदी की वनस्पति है, साथ ही दलदली समतल भूमि है, जो शैवाल मैट से ढकी हुई है, जो समय-समय पर ज्वार भाटे से जलमग्न रहती है।
नमथिंग पोखरी (Namthing Pokhari) कर्सियांग ब्लॉक में एक प्राकृतिक हिमालयी आर्द्रभूमि है, जो 11.9 एकड़ के क्षेत्र को कवर करती है, और हिमालयी सालमंदर (Himalayan Salamander) का पर्यावास है।
इल्लमबाजार के पास अमखोई वुड फॉसिल पार्क, 10 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें अद्वितीय भूवैज्ञानिक और पैलियो-वनस्पति विशेषताएं प्राप्त होती हैं।