दूरसंचार विभाग ने ‘संगम: डिजिटल ट्विन’ पहल लॉन्च किया
दूरसंचार विभाग (DoT) ने ‘संगम: डिजिटल ट्विन’ पहल (Sangam: Digital Twin) का अनावरण किया है।
प्रमुख बिंदु
‘संगम: डिजिटल ट्विन’ 5G, IoT (इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स), AI, AR/VR, AI नेटिव 6G संगम की ताकत के संयोजन के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना और डिजाइन को नया आकार देने की दिशा में सहयोग आधारित पहल का प्रतीक है।
डिजिटल ट्विन एक प्रूफ ऑफ़ कॉन्सेप्ट है जिसे भारत के प्रमुख शहरों में से एक में दो चरणों में वितरित किया जाएगा। इसमें कांसेप्ट का प्रदर्शन किया जाएगा ताकि यह पता चला सके कि इस क्षेत्र के इनोवेशन को वास्तविक स्तर पर उपयोग किया जा सकता है।
संगम सभी हितधारकों को एक मंच पर लाता है जिसका लक्ष्य नवीन विचारों को जमीनी समाधान में बदलना है।
डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी
डिजिटल ट्विन तकनीक सांसारिक दुनिया के ऑब्जेक्ट्स या प्रोसेस को वर्चुअल (डिजिटल) की प्रतिकृतियां (replicas) बनाकर एक समाधान प्रदान करती है, जो सर्वोत्तम परिणामों को प्राप्त करने के लिए रियल टाइम में निगरानी, सिमुलेशन और विश्लेषण की अनुमति देती है।
यह तकनीक कंपनियों को किसी उत्पाद के वास्तविक दुनिया में उपयोग के लिए उतारने से पहले ही उसका परीक्षण और सत्यापन करने में सक्षम बनाती है।
चूंकि डिजिटल ट्विन सिस्टम के इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स सेंसर रियल टाइम में बड़ा डेटा उत्पन्न करते हैं, इसलिए बिजनेस सिस्टम के भीतर समस्याओं की पहचान करने के लिए सक्रिय रूप से अपने डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं।
ट्विन को कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है, जिससे यूजर्स दूर से सिस्टम के प्रदर्शन की निगरानी और नियंत्रण कर सकते हैं।
डिजिटल ट्विन और सिमुलेशन के बीच अंतर काफी हद तक स्केल यानी व्यापकता के स्तर पर। सिमुलेशन आम तौर पर एक विशेष प्रक्रिया का अध्ययन करता है, वहीं एक डिजिटल ट्विन स्वयं कई प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए कितनी भी संख्या में उपयोगी सिमुलेशन चला सकता है।
सिमुलेशन आमतौर पर रियल टाइम डेटा होने से लाभ नहीं उठाते हैं। लेकिन डिजिटल ट्विन्स को सूचना के दोतरफा फ्लोके आधार पर डिज़ाइन किया गया है।
डिजिटल ट्विन्स उत्पादकों को यह तय करने में भी मदद कर सकते हैं कि उन उत्पादों के साथ क्या करना है जो उनके उत्पाद के उपयोग की समाप्ति के अंत तक पहुंचते हैं।