डोलोमाइट समस्या (Dolomite Problem)
200 वर्षों से, वैज्ञानिक प्रयोगशाला में एक आम खनिज को ऐसी परिस्थितियों में विकसित करने में विफल रहे हैं, जिसके बारे में माना जाता है कि यह प्राकृतिक रूप से बना है।
अब, एटॉमिक सिमुलेशन से विकसित एक नए सिद्धांत की बदौलत शोधकर्ताओं की एक टीम अंततः इसे प्रयोगशाला में विकसित करने में सफल हो गए हैं। उनकी सफलता “डोलोमाइट समस्या” (Dolomite Problem) नामक लंबे समय से चले आ रहे भूविज्ञान रहस्य को सुलझाती है।
डोलोमाइट एक कैल्शियम-मैग्नीशियम-कार्बोनेट खनिज है। डोलोमाइट इटली के डोलोमाइट पहाड़ों, नियाग्रा फॉल्स, डोवर की सफेद चट्टानों और यूटा के हुडूस में एक प्रमुख खनिज है।
यह 100 मिलियन वर्ष से अधिक पुरानी चट्टानों में बहुत प्रचुर मात्रा में प्राप्त है, लेकिन युवा पर्वत संरचनाओं में लगभग अनुपस्थित है।
डोलोमाइट को पहली बार 1792 में स्विस प्रकृतिवादी निकोलस डी सॉसर द्वारा एक खनिज के रूप में वर्णित किया गया था।
भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार ‘डोलोमाइट’ को ‘लघु खनिज’ (Minor Mineral) घोषित किया गया है, इसलिए उत्पादक इसके उत्पादन डेटा सीधे संबंधित राज्यों को रिपोर्ट करते हैं, न कि इंडियन बयूरो ऑफ माइंस को।