प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPIs) में जमा धन के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी की सिफारिश

प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPIs) धारकों को जल्द ही किसी भी धोखाधड़ी या अनधिकृत भुगतान लेनदेन के खिलाफ उनके धन की सुरक्षा मिल सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवा मानकों की समीक्षा के लिए गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि रिजर्व बैंक को PPIs के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation: DICGC) कवर के विस्तार का परीक्षण करना चाहिए, जो वर्तमान में केवल बैंक में जमाओं के लिए उपलब्ध है।

प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPIs)

प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPIs)  ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं जो जमा धन के बदले  वस्तुओं और सेवाओं की खरीद को आसान बनाते हैं, वित्तीय सेवाओं का संचालन करते हैं और रेमिटेंस की सुविधा प्रदान करते हैं।

PPI को कार्ड या वॉलेट के रूप में जारी किया जा सकता है। PPIs को नकद, बैंक खाते से डेबिट या क्रेडिट और डेबिट कार्ड द्वारा लोड/रीलोड किया जा सकता है।

PPIs की कैश लोडिंग प्रति माह 50,000 रुपये तक सीमित है, जो PPI की समग्र सीमा के अधीन है।

PPI को RBI से मंजूरी प्राप्त करने के बाद बैंक और नॉन-बैंक वित्तीय संस्थान  द्वारा जारी किया जा सकता है।

PPI के कुछ उदाहरणों में पेटीएम और गूगल पे (सेमी-क्लोज्ड सिस्टम  PPI  ), गिफ्ट कार्ड (क्लोज्ड सिस्टम  PPI ) और डेबिट या क्रेडिट कार्ड (ओपन सिस्टम PPI) शामिल हैं।

सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले PPI डेबिट और क्रेडिट कार्ड हैं। आप इन PPI से नकद निकासी कर सकते हैं।

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC)

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रदान करती है।

डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रणाली वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेष रूप से छोटे जमाकर्ताओं को बैंक की विफलता की स्थिति में उनकी जमा राशि की सुरक्षा का आश्वासन देकर।

DICGC द्वारा विस्तारित डिपॉजिट इंश्योरेंस लोकल एरिया बैंक, पेमेंट बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको और सहकारी बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंकों को कवर करता है, जिन्हें RBI द्वारा लाइसेंस प्राप्त है।

DICGC अर्जित ब्याज सहित बचत, सावधि, चालू और आवर्ती जैसी सभी जमाओं का बीमा करता है।

बैंक में प्रत्येक जमाकर्ता को बैंक की विफलता की तिथि के अनुसार मूलधन और ब्याज राशि दोनों के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये तक का बीमा किया जाता है। पहले  DICGC द्वारा प्रदान किया गया बीमा कवर एक लाख रुपये था। हालांकि, बीमाकृत बैंकों में जमाकर्ताओं के लिए बीमा कवर की सीमा 2020 में बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई थी।

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