‘डीम्ड फॉरेस्ट’ (Deemed forests)
ओडिशा सरकार ने 11 अगस्त को जारी उस आदेश वापस ले लिया है, जिसमें जिला अधिकारियों से कहा गया था कि हाल ही में संशोधित वन अधिनियम के तहत एक श्रेणी के रूप में ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ (Deemed forests) का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
प्रमुख तथ्य
- ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ ऐसे वन होते हैं जिन्हें केंद्र या राज्यों द्वारा अपने रिकॉर्ड में वन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।
- हालांकि, टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ और अन्य मामले में 1996 सुप्रीम कोर्ट का का एक फैसला आया जिसमें राज्यों को उन भूखंडों की पहचान करने का काम सौंपा गया जो “जंगल के शब्दकोश अर्थ के अनुरूप हो..भले ही इसका स्वामित्व किसी के पास भी हो। न्यायालय ने ऐसे वनों के लिए भी वन अधिनियम के तहत उपलब्ध सुरक्षा का विस्तार किया गया।
- अगस्त 2023 में संसद द्वारा पारित एक अद्यतन वन अधिनियम में कहा गया है कि केवल 1980 के बाद वर्गीकृत और दर्ज किए गए वनों को संरक्षित किया जाएगा।
- 1980 और 1996 के बीच सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए हस्तांतरित वन भूमि को भी संरक्षित नहीं किया जाएगा।
- हालाँकि, पर्यावरण मंत्रालय ने विधेयक के प्रावधानों की जांच के लिए गठित एक संयुक्त संसदीय समिति को स्पष्ट किया कि यह संशोधन 1996 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नहीं हैं।
- ओडिशा सरकार ने, 1996 से, जिला-स्तर पर विशेषज्ञ समितियों की मदद से, लगभग 66 लाख एकड़ को ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ के रूप में पहचाना था, लेकिन उनमें से कई को सरकारी रिकॉर्ड में आधिकारिक तौर पर अधिसूचित नहीं किया गया था।