डार्क फाइबर क्या है?
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (Securities Appellate Tribunal: SAT) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व शीर्ष अधिकारियों चित्रा रामकृष्ण (चित्रित), आनंद सुब्रमण्यम और अन्य के खिलाफ मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा “डार्क फाइबर” (dark fibre) केस में पारित एक आदेश को रद्द कर दिया।
डार्क फाइबर केस के तहत कुछ शेयर ब्रोकर्स ने कथित तौर पर एक्सचेंज की को-लोकेशन सुविधाओं से तेज कनेक्टिविटी पाने के लिए इसके इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्टर का दुरूपयोग किया था।
यह मामला NSE में कुछ ब्रोकिंग फर्मों को अन्य सदस्यों से पहले को-लोकेशन सुविधाओं से जुड़ने के लिए ‘डार्क फाइबर’ के रूप में दी गई कथित इंटर-एक्सेस से संबंधित है।
डार्क फाइबर के बारे में
गौरतलब है कि नेटवर्क कनेक्टिविटी के संबंध में डार्क फाइबर या अनलिट फाइबर, पहले से ही बिछाए गए लेकिन अप्रयुक्त या निष्क्रिय ऑप्टिकल फाइबर को कहा जाता है, जो किसी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक्स/उपकरण से जुड़ा नहीं होता है और इसके माध्यम से कोई अन्य डेटा फ्लो नहीं होता है, हालांकि, फाइबर ऑप्टिक संचार हेतु उपयोग के लिए उपलब्ध है।