फ्रांस से 26 राफेल समुद्री विमानों और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के अधिग्रहण को मंजूरी दी गयी

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council: DAC) की बैठक में 13 जुलाई, 2023 को तीन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

DAC ने 26 राफेल समुद्री विमानों की खरीद के साथ-साथ अंतर-सरकारी समझौते (आईजीए) के आधार पर फ्रांस की सरकार से भारतीय नौसेना के लिए सहायक उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर, कल-पुर्जे, दस्तावेज़, चालक दल प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक समर्थन के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity: AoN) का अनुमोदन किया।

DAC ने बाई (भारतीय) श्रेणी के तहत तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए AoN को मंजूरी दी, जिसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL ) द्वारा किया जाएगा। उच्च स्वदेशी कल-पुर्जों वाली अतिरिक्त पनडुब्बियों की खरीद से न केवल भारतीय नौसेना के आवश्यक बल स्तर और परिचालन तैयारी को बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि घरेलू क्षेत्र में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर भी सृजित होंगे।

स्कॉर्पीन पनडुब्बी

अक्टूबर 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 बिलियन डॉलर के सौदे के हिस्से के रूप में, MDL प्रोजेक्ट-75 के तहत छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है, जिसने फ्रांसीसी रक्षा फर्म, नेवल ग्रुप से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की अनुमति दी थी।

इनमें से पांच पहले ही चालू हो चुके हैं और आखिरी अगले साल की शुरुआत में कमीशन होने की संभावना है। इस परियोजना के तहत पांचवीं पनडुब्बी, आईएनएस वागिर, इस साल जनवरी में कमीशन की गई थी। अन्य – आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला को 2017 और 2021 के बीच कमीशन किया गया था।

इस साल मई में, छठी पनडुब्बी वाग्शीर ने अपना समुद्री परीक्षण शुरू किया। अब तीन और पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा।

मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड तीसरे देश के लिए फ्रांसीसी नौसेना समूह के साथ संयुक्त रूप से स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का विकास और निर्माण करेगा।

स्कॉर्पीन पनडुब्बियां पारंपरिक आक्रमण पनडुब्बियां हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें प्रतिद्वंद्वी नौसैनिक जहाजों को निशाना बनाने और डुबाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

टॉरपीडो और मिसाइलों की एक बड़ी श्रृंखला को लॉन्च करने में सक्षम, वे कई प्रकार की निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने वाले तंत्र से भी लैस हैं। वे लगभग 220 फीट लंबे हैं और उनकी ऊंचाई लगभग 40 फीट है।

सतह पर आने पर वे 11 समुद्री मील (20 किमी/घंटा) और पानी में डूबने पर 20 समुद्री मील (37 किमी/घंटा) की अधिकतम गति तक पहुँच सकते हैं।

स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां लगभग 50 दिनों की सहनशक्ति (endurance) – दुबारा बिना ईंधन भरे स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता – के साथ डीजल इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करती हैं।

इस प्रकार की प्रणोदन प्रणाली डीजल (सतह पर काम करने के लिए) और बिजली (पानी के नीचे काम करने के लिए) के बीच वैकल्पिक होती है।

दूसरी ओर परमाणु पनडुब्बियों को उनके सैद्धांतिक रूप से असीमित सहनशक्ति के कारण प्रतिष्ठित किया जाता है – एक पनडुब्बी पर एक परमाणु रिएक्टर का परिचालन जीवन 30 साल तक होता है।

चूँकि वे बैटरी से संचालित नहीं होती हैं, इसलिए इन पनडुब्बियों को केवल चालक दल के लिए आपूर्ति की भरपाई के लिए सतह पर आने की आवश्यकता होती है। वे पारंपरिक पनडुब्बियों की तुलना में बहुत तेज़ चलने में भी सक्षम हैं। हालांकि इनके संचालन के लिए अधिक विशेषज्ञता की जरुरत पड़ती है और ये महंगी भी हैं।

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