कोरल रीफ मॉनिटरिंग एंड सर्विलांस रोबोट (C-bot)

गोवा स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (NIO) ने मूंगा चट्टानों (Coral Reef) की दीर्घकालिक निगरानी के लिए “कोरल रीफ मॉनिटरिंग एंड सर्विलांस रोबोट (C-bot) लॉन्च किया है।

यह कोरल की स्थिति की जांच के लिए पानी के भीतर खुद से एक्टिविटी करने वाला व्हीकल है।

C-bot पानी के भीतर 200 मीटर की गहराई तक जा सकता है। यह महासागर में गहराई तक जाने वाले व्हीकल बनाने की दिशा में पहला कदम है जो हिंद महासागर की गहराई को स्कैन कर सकता है।

बता दें कि जलवायु परिवर्तन के कारण कोरल में ब्लीचिंग (सफ़ेद हो जाना) देखी जा रही है। विभिन्न सेंसरों, विभिन्न कैमरों के साथ, यह मापता है कि पैरामीटर क्या हैं, और यह समझाने में मदद कर सकता है कि मूंगे इस तरह से क्यों मर रहे हैं।

यह व्हीकल नौसेना को नेविगेशन चैनलों और हाइड्रोथर्मल वेंट का पता करने के लिए बाथमेट्री अध्ययन (सी फ्लोर का अध्ययन और मैपिंग) करने में भी मदद करेगा।

यह सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट (hydrothermal vents) को खोजने में भी मदद करेगा जो समुद्र में बहुत सारे तत्वों का उत्सर्जन कर रहे हैं।

पानी के भीतर पर्वत चोटियां और विवर्तनिक प्लेट के मिलने की जगह ज्वालामुखी हॉट स्प्रिंग्स का निर्माण करते हैं जिन्हें हाइड्रोथर्मल वेंट के रूप में जाना जाता है।

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