कोरल ब्लीचिंग रोकने के लिए उपाय
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, वैश्विक जलवायु परिवर्तन और उसके बाद समुद्री जल सतह के तापमान में वृद्धि के कारण महासागरों में प्रवाल का सामूहिक विरंजन (coral mass bleaching) एक प्राकृतिक घटना है, होती है। हालाँकि, सामान्य समुद्री इकोसिस्टम की बहाली के आधार पर कोरल्स में ठीक होने यानी रिकवरी की क्षमता होती है।
मार्च 2024 के दौरान लक्षद्वीप में कोरल ब्लीचिंग की घटनाएँ दर्ज की गई। 2023, 2022, 2021 और 2020 के दौरान कोरल ब्लीचिंग की घटनाएँ महत्वपूर्ण नहीं थीं।
भारत सरकार ने विभिन्न रेगुलेटरी और अन्य उपायों के माध्यम से देश में बैरियर रीफ, फ्रिंजिंग रीफ और एटोल की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कदम उठाए हैं।
इन उपायों में शामिल हैं: कोरल प्रजातियों को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची -I के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जो कोरल रीफ को उच्चतम सुरक्षा प्रदान करता है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत जारी तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना, 2019 में कोरल और कोरल रीफ जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ESAs) के संरक्षण और प्रबंधन योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है और नाजुक तटीय इकोसिस्टम में विकास गतिविधियों और कचरे फेकने पर रोक लगाई गई है।